धर्म का हवाला दे नहीं दी ‘आधार’ की जानकारी, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
नई दिल्ली. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बताया गया कि एक लड़के के पिता द्वारा आधार के लिए बायोमैट्रिक जानकारी देने से इनकार करने के बाद उसे स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया. पिता ने इस आधार पर यह जानकारी देने से मना किया था कि उनका धर्म इसकी अनुमति नहीं देता है. यह पीठ आधार और इससे जुड़े कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर संज्ञान लिया है कि धर्म की आजादी के अधिकार के कारण आधार योजना के तहत किसी व्यक्ति से निजी जानकारी देने के लिए नहीं कहा जा सकता. कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई व्यक्ति आयकर रिटर्न्स दायर करने जैसे धर्मनिरपेक्ष मामलों में कानून का पालन करने से इनकार कर सकता है या नहीं.
पीठ ने कहा, ‘धर्मनिरपेक्ष मामलों में, क्या आप कह सकते हैं कि मैं ऐसा नहीं करूंगा. उदाहरण के लिए, क्या कोई व्यक्ति आयकर रिटर्न दायर करने से यह कहते हुए मना कर सकता है कि उसकी अंतर्रात्मा इसकी अनुमति नहीं देती है.’ व्यक्ति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने संविधान के अनुच्छेद 25 (धर्म की आजादी का अधिकार) का भी जिक्र किया.