देश में तेजी से बढ़ी नौकरियां, इस रिपोर्ट ने सबको…

इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 में नवंबर माह तक कुल 62 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने यह दावा किया है. ईपीएफओ द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया है कि सिर्फ नवंबर महीने में ही औपचारिक क्षेत्र में 11.62 लाख लोगों को नौकरियां मिली हैं. एक साल पहले के मुकाबले इसमें बढ़त हुई है.
एक साल पहले के मुकाबले बढ़त
वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 61.12 लाख नौकरियों का सृजन हुआ था, जबकि इस वित्त वर्ष में नवंबर तक ही 62.38 लाख लोगों को नौकरी मिल चुकी है. यानी पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें अच्छी बढ़त हुई है.
ईपीएफओ का कहना है कि नवंबर, 2018 में सिर्फ 4.03 लाख नौकरियों का सृजन हुआ था. गौरतलब है कि EPFO पीएफ और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की सब्सक्रिप्शन के आधार पर फॉर्मल सेक्टर की नौकरियों का डेटा जारी करता है. हालांकि ये आंकड़े भी अभी प्रारंभिक ही हैं और अभी इसमें संशोधन होगा. अभी तक जो संशोधन देखे गए हैं, उनमें आंकड़ों में कुछ गिरावट ही आती है.
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फॉर्मल सेक्टर में बढ़ीं नौकरियां
आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 से नवंबर 2019 के बीच ईपीएफओ की पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से 1.39 करोड़ नए लोग जुड़े. इससे यह संकेत मिलता है कि पिछले 27 महीने में औपचारिक क्षेत्र में ज्यादा नौकरियां मिली हैं. इनमें से 15.53 लाख नौकरियों का सृजन सितंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच हुआ है.
किस उम्र वर्ग में ज्यादा रोजगार
ईपीएफओ के अनुसार, नवंबर 2019 में सबसे ज्यादा 3.09 लाख नौकरियां 22 से 25 साल की उम्र के लोगों को मिली हैं. इसके बाद 18 से 21 वर्ष की उम्र के लोगों को 2.98 लाख नौकरियां मिली हैं.
इसी तरह, 29 से 35 साल की उम्र के लोगों में 2.08 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है. 26 से 28 लाख की उम्र के बीच नौकरियों का सृजन 1.47 लाख तक हुआ है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रही. इसके बाद अप्रैल 2018 से ईपीएफओ ने औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों के आंकड़े जारी करना शुरू किया. उसने सितंबर 2017 से अब तक आंकड़े जारी किए हैं. सबसे ज्यादा 11.62 नौकरियों का सृजन नवंबर में हुआ, जबकि सबसे कम 4.73 लाख नौकरियों का सृजन मई में हुआ है. हाल में एसबीआई इकोरैप की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक सुस्ती की वजह से 2019-20 में कम से कम 16 लाख नौकरियां घटी हैं.
एक निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, ‘ सितंबर से दिसंबर 2019 के चार महीनों में बेरोजगारी की दर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई है. यही नहीं, उच्च शिक्षित लोगों की बेरोजगारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है.