देशभर में बढ़ा कोरोना वायरस फैलने का खतरा, इस खबर ने हर किसी के डर को बढ़ाया…
कोरोना वायरस के मामले दिल्ली में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. लॉकडाउन सहित तमाम अपीलों के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का सेंटर (मरकज) में लोगों की मौजूदगी चिंता का सबब बन गई है. दिल्ली में तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोगों में कोरोना संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं. तबलीगी जमात के चलते ही मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान देवबंद भी कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में आ गया है
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के सेंटर से रविवार को दिल्ली के LNJP अस्पताल में 34 लोगों को जांच के लिए लाया गया और सभी कोरोना संक्रमण के संदिग्ध बताए जा रहे हैं. इसमें एक 64 साल के व्यक्ति की मौत हो गई. वो तमिलनाडु का रहने वाला था. हालांकि, मौत किस वजह से हुई इसका खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो पाएगा. फिलहाल बाकी 33 लोगों को LNJP अस्पताल में ही रखा गया है. इनकी जांच रिपोर्ट सोमवार को आएगी, जिसके बाद ही इनके संक्रमित होने या न होने के बारे में पता चल सकेगा.
दरअसल, दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का सेंटर होने के चलते देश ही नहीं पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं. इसके बाद उन्हें अलग-अलग समूहों में विभिन्न शहरों और कस्बों की इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए भेजा जाता है. इन्हें इलाकों की चिट दी जाती है जिसमें मस्जिदों का ब्योरा होता है. ये लोग वहां पहुंचते हैं और मस्जिदों में ठहरते हैं. कोरोना वायरस के खतरों के बीच इन तबलीगी जमातों के एक शहर से दूसरे शहर में जाने से खतरा और बढ़ गया है. इसी कड़ी में निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के केंद्र में लोग एकजुट हुए थे, जिसके चलते देशभर में लोग चिंतित हो गए हैं.
मदरसा देवबंद भी कोरोना की चपेट में
तबलीगी जमात के चलते मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान देवबंद भी कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में आ गया है. दारुल उलूम देवबंद के बहुत से छात्र भी निगरानी में हैं. ये लोग तबलीगी जमात के प्रचारकों के संपर्क में आए थे. निगरानी के दायरे में आए लोग 2 मार्च से 20 मार्च के बीच मलेशिया और इंडोनेशिया से आने वाले 40 तबलीगी जमात के लोगों के सम्पर्क में आए थे. इनमें से अधिकतर ऐसे परिवार और स्टूडेंट्स हैं जो देवबंद के मशहूर मदरसे में पढ़ते हैं और उसके पास की मोहम्मदी मस्जिद के आसपास रहते हैं. तबलीगी जमात ने 9 मार्च और 11 मार्च के बीच देवबंद की यात्रा की थी.
मेरठ की 2 मस्जिदों में 19 विदेशी
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के मवाना कस्बे में स्थित बिलाल मस्जिद में रविवार देर रात 10 और सरधना में आजाद नगर स्थित मस्जिद में 9 विदेशी लोगों के मिलने से लोग चिंतित हो गए हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम पुलिस बल के साथ मस्जिद में पहुंची और इन लोगों से पूछताछ की. इनके कागजात और पासपोर्ट कब्जे में ले लिए गए हैं. इन कस्बों में यह तबलीगी जमात 17 मार्च को निजामुद्दीन मरकज से आई थी. जमात में शामिल लोग सूडान व केन्या के रहने वाले हैं. इन सभी लोगों की कोरोना वायरस की जांच प्रशासन सोमवार को कराएगा.
कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच तबलीगी जमात जोखिम भरा कदम उठा रहा है. कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में तबाही का आलम है और सारे कामकाज बंद हो चुके हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लगातार अपीलें की जा रही हैं. कोरोना के कहर के बीच तबलीगी जमात ने दिल्ली में पिछले दिनों एक धार्मिक आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में पहुंचे तमाम धर्मगुरु और देश-विदेश के लोग शामिल हुए थे. इसके बाद ये लोग देशभर में जमात (ग्रुप) में फैल गए थे.
विधायक का परिवार हुआ था तबलीगी जमात के कार्यक्रम में
तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं तो अन्य कई लोगों के कोरोना पॉजटिव होने का खतरा है. इन्हीं में गुंटूर के विधायक मुस्तफा शेख के भाई भी तबलीगी जमात के दिल्ली की कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया है. इसके चलते विधायक मुस्तफा शेख सहित परिवार के 14 सदस्यों को क्वारंटाइन में रखा गया है. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण के चलते कई राज्यों की सरकारें तबलीगी जमात के लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं.
दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में दुनियाभर के लोग शामिल
दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए ज्यादातर लोग मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक थे. ये लोग 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच कुआलालंपुर में हुए इस्लामिक उपदेशकों के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद भारत गए थे. दिल्ली में रहने के दौरान ये लोग कई दूसरे लोगों के संपर्क में आए इसलिए अब बाकी लोगों की तलाश हो रही है.
ये लोग उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और अंडमान-निकोबार भी गए. अब जम्मू-कश्मीर और दिल्ली प्रशासन के अलावा तमिलनाडु और तेलंगाना की सरकारें भी उन लोगों की तलाश कर रही हैं, जो तबलीगी जमात के इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस तरह से बढ़े कोरोना के मामलों से संकट और बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है.
तबलीगी जमात का आगाज
तबलीगी जमात की शुरुआत भारत में 1926-27 के दौरान हुई थी, जिसे मौलाना मुहम्मद इलियास कांधलवी ने निजामुद्दीन स्थिति मस्जिद से किया थी. इलियास कांधलवी ने पहली जमात दिल्ली से सटे हरियाणा के मेवात के मुस्लिम समुदाय लोगों को इस्लाम की मजहबी शिक्षा देने के लिए ले गए थे. इसके बाद आज यह जमात अब करीब 150 देशों में इस्लाम के प्रचार प्रचार देने का काम कर रही है.
कैसी काम करती हैं तबलीगी जमात
तबलीगी जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम भारत में 1941 में हुई था, जिसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं. तबलीगी जमात हर साल देश में एक बड़ा कार्यक्रम करता है, जिसे इज्तेमा कहते हैं. इसमें दुनियाभर के लाखों मुसलमान शामिल होते हैं.
इत्जेमा से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं. इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने की जमातें निकलती हैं.तबलीगी जमात के एक जमात (समुह) में आठ से दस लोग शामिल होते हैं. इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं. जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों और दुकानदारों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं. सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है.