देखिए रामनाथ कोविंद के घर और मोहल्ले में कैसे मनाया जा रहा है ख़ुशी का जश्न

कानपुर के रहने वाले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल बनने के बाद अब उनको राष्ट्रपति का उम्मीदार घोषित किया गया है। राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित होने की जानकारी जब उनके इलाके के लोगों को हुई तो सभी ख़ुशी से झूमने लगे, चारों ओर जश्न का माहौल हो गया। हालांकि राज्यपाल रामनाथ का पूरा परिवार इस समय बिहार में है। राज्यपाल राम नाथ कोविंद के पड़ोसियों से बातचीत की गयी तो उन्होंने ख़ुशी का इजहार किया।

देखिए रामनाथ कोविंद के घर और मोहल्ले में कैसे मनाया जा रहा है ख़ुशी का जश्न

एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तथा बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़ा दलित चेहरा हैं। सरल-सौम्य रामनाथ कोविंद का कानपुर से गहरा रिश्ता है। रामनाथ कोविंद ने आठ अगस्त 2015 से बिहार के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के समकालीन रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते रहे हैं। रामनाथ के घर और मोहल्ले के लोगों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया।

ये भी पढ़े: रामनाथ कोविंद को कभी मायावती के खिलाफ खड़ा करना चाहती थी भाजपा

राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भले ही इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है। यही कारण है कि वह समय-समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं। रामनाथ कोविंद कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। 

कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। आपातकाल के बाद जून 1975 में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने।

इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। कोविंद को पार्टी ने 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लडऩे के बाद रामनाथ कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे। वर्ष 2007 में पार्टी ने रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह यह चुनाव भी हार गए।
Back to top button