दुनिया में फिर शुरू हो सकती है परमाणु हथियारों की होड़, रूस ने दी चेतावनी

ट्रंप ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक से कुछ मिनट पहले अमेरिकी सेना को 33 वर्षों के अंतराल के बाद परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेशदिया है। अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु परीक्षण किया था। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू किया, तो रूस भी ऐसा करेगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक से कुछ मिनट पहले अमेरिकी सेना को 33 वर्षों के अंतराल के बाद परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है।

अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु परीक्षण किया था। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू किया, तो रूस भी ऐसा करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप के इस आदेश से एक बार फिर परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है।

आइए जानते हैं इतने वर्षों तक परीक्षणों पर रोक किन वजहों से लगी थी और ट्रंप को दोबारा इसकी शुरुआत करने की जरूरत क्यों पड़ी..

अमेरिका ने की थी परमाणु युग की शुरुआत

अमेरिका ने जुलाई 1945 में 20 किलोटन के परमाणु बम के परीक्षण के साथ परमाणु युग की शुरुआत की थी। इसके बाद अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया गया।

सोवियत संघ ने मात्र चार साल बाद, अगस्त 1949 में, अपना पहला परमाणु बम विस्फोट करके पश्चिम को चौंका दिया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 1945 और 1996 के बीच के पांच दशकों में 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण किए गए।

1945 और 1996 के बीच किए गए परमाणु परीक्षण

अमेरिका: 1,032

सोवियत संघ: 715

ब्रिटेन: 45

फ्रांस: 210

चीन: 45

भारत: 2

पाकिस्तान: 2

उत्तर कोरिया: 6

सीटीबीटी संधि और पर्यावरणीय चिंता

जमीन के ऊपर, भूमिगत और पानी के नीचे किए गए परमाणु हथियार परीक्षणों के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर बढ़ी चिंताओं ने देशों को परमाणु परीक्षणों को सीमित करने के लिए बाध्य कर दिया था।

प्रशांत क्षेत्र में पश्चिमी देशों द्वारा किए गए परीक्षणों और कजाखस्तान व आर्कटिक में सोवियत परीक्षणों का पर्यावरण और लोगों, दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इन कारकों को देखते हुए परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाने के लिए 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) अपनाया गया था।

रूस ने 1996 में इस पर हस्ताक्षर किए थे और 2000 में इसको अनुमोदित किया। अमेरिका ने 1996 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अभी तक इसका अनुमोदन नहीं किया है। 2023 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने औपचारिक रूप से सीटीबीटी के अनुमोदन को रद कर दिया था।

सामरिक शक्ति का प्रदर्शन

परीक्षण इस बात का प्रमाण देते हैं कि कोई भी नया परमाणु हथियार क्या करेगा और क्या पुराने हथियार अभी भी काम करते हैं। तकनीकी आंकड़े प्रदान करने के अलावा, इस तरह के परीक्षण को रूस और चीन में अमेरिकी सामरिक शक्ति के प्रदर्शन के रूप में देखा जाएगा। रूस ने पिछले हफ्ते एक परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल और एक परमाणु-संचालित टारपीडो का परीक्षण किया था। ट्रंप के नए आदेश को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है। रूस को सोवियत परमाणु शस्त्रागार का अधिकांश हिस्सा विरासत में मिला था। सोवियत संघ ने 1990 में आखिरी बार परीक्षण किए थे।

ईरान ने ट्रंप के परमाणु परीक्षण आदेश की निंदा की

ईरान के विदेश मंत्री ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आश्चर्यजनक निर्देश के बाद परमाणु परीक्षण पुनः शुरू करने की अमेरिकी योजना को “प्रतिगामी और गैरजिम्मेदाराना” बताया।

अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि एक परमाणु-सशस्त्र धौंसिया देश परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू कर रहा है। वही धौंसिया देश ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को बदनाम कर रहा है।

उन्होंने कहा, “परमाणु परीक्षण पुनः शुरू करने की (अमेरिका की) घोषणा एक प्रतिगामी और गैरजिम्मेदाराना कदम है और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है।”

देशों के परमाणु हथियारों का जखीरा

देश हथियारों की संख्या

रूस: 5,459

अमेरिका: 5,177

चीन: 600

फ्रांस: 290

ब्रिटेन: 225

भारत: 180

पाकिस्तान: 170

इजरायल: 90

उत्तर कोरिया: 50

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