दिल्ली पहुंचे जर्मन विदेश मंत्री वेडफुल, आज एस जयशंकर और पीयूष गोयल से करेंगे मुलाकात

मंगलवार को विदेश मंत्री वेडफुल बंगलूरू पहुंचे और उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा किया। आज वे नई दिल्ली में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक होगी।
भारत दौरे पर आए जर्मन विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल नई दिल्ली पहुंच गए हैं। वे आज यहां केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ बैठक करेंगे। साथ ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करेंगे।
विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि जर्मन विदेश मंत्री राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे। उनका केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मिलने का कार्यक्रम है। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक होगी। इसके बाद वे जर्मनी रवाना हो जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनकी भागीदारी भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में मदद करेगी, जो अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर रही है। इससे पहले मंगलवार को विदेश मंत्री वेडफुल बंगलूरू पहुंचे और उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा किया।
अपनी यात्रा से पहले जर्मन विदेश मंत्री ने भारत-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक मंच पर एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की भूमिका के बारे में बात की। एक्स पर पोस्ट में वेडफुल ने जर्मनी और भारत के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने सुरक्षा सहयोग, नवाचार, प्रौद्योगिकी और कुशल कार्यबल भर्ती जैसे क्षेत्रों को द्विपक्षीय संबंधों का प्रमुख स्तंभ बताया।
वेडफुल ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख साझेदार है। हमारे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ संबंध हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। सुरक्षा सहयोग से लेकर नवाचार और प्रौद्योगिकी और कुशल श्रमिकों की भर्ती तक। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की आवाज रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र से परे भी सुनी जाती है। इसीलिए मैं बंगलूरू और नई दिल्ली की यात्रा कर रहा हूं।
जर्मन विदेश मंत्री ने जर्मनी और भारत जैसे लोकतंत्रों के बीच स्वाभाविक गठबंधन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमारी सदी की अंतराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है। हम लोकतंत्र इसमें स्वाभाविक साझेदार हैं। विशाल भू-राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए हमें मिलकर नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।