दिल्ली : जाम की जकड़न से निकालेंगी अत्याधुनिक पार्किंग, एमसीडी ने शुरू किया काम

दिल्ली की सड़कों को जाम की जकड़न से निकालने में अत्याधुनिक पार्किंग मददगार साबित होंगी। एमसीडी ने नए पार्किंग स्थल निर्धारित करने का काम शुरू किया है। पहले चरण में 72 पार्किंग का अलॉटमेंट होने जा रहा है, जिसमें 18 नई जगहें शामिल हैं।आज दोपहर तीन बजे तक इनकी टेंडरिंग प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

एमसीडी के सभी पार्किंग स्थल ऑटोकैड मानचित्र पर दर्ज कराए जा रहे हैं, जिससे विभाग के पास अपनी पार्किंग की रीयल टाइम थ्री-डी इमेज हरदम उपलब्ध रहेगी। इससे अवैध पार्किंग के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। इसके अलावा हरेक पार्किंग में डिजिटल और पारदर्शी तरीके से पार्किंग फीस जमा करने की व्यवस्था शुरू की गई है। अब तक 50 से ज्यादा पार्किंग स्थलों पर फास्टैग और यूपीआई से फीस का भुगतान हो रहा है। इसके अलावा पार्किंग स्थलों को डस्ट फ्री करने के लिए इसकी सरफेस को पक्का करने का काम भी चल रहा है।

80 लाख पंजीकृत वाहन, 1.25 लाख के लिए ही पार्किंग
राजधानी में जितनी तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ी है, उस लिहाज से पार्किंग का इंतजाम नहीं हो पाया। साल 1995 के बाद दिल्ली की आबादी में करीब 2.5 फीसदी की दर से इजाफा हुआ, जबकि वाहनों की संख्या करीब 10 फीसदी से ज्यादा की दर से बढ़ी। मौजूदा समय दिल्ली में 1.5 करोड़ से ज्यादा वाहन हैं, जिनमें से करीब 80 लाख पंजीकृत वाहन हैं और केवल 1.25 लाख के लिए ही पार्किंग की जगह है। वहीं, हर दिन लाखों वाहन यूपी, हरियाणा और दूसरे राज्यों से दिल्ली में आते हैं। इनमें से ज्यादातर सड़कों पर खड़े रहते हैं।

एमसीडी के पास कुल 427 पार्किंग स्थल
वर्तमान में दिल्ली में एमसीडी के पास कुल 427 पार्किंग स्थल हैं, जिनमें 410 स्थल पार्किंग और 17 बहुमंजिला पार्किंग हैं। एमसीडी की पार्किंग में कुल 85141 वाहन खड़े करने की क्षमता है। एनडीएमसी के पास कुल 91 पार्किंग स्थल हैं। एनडीएमसी के 41 पार्किंग स्थलों का संचालन एनडीएमसी पार्किंग मैनेजमेंट डिपार्टमेंट करता है, बाकी पार्किंग स्थलों का संचालन ठेकेदारों के माध्यम से हो रहा है। एमसीडी ने अपने अधिकतर पार्किंग स्थलों को संचालित करने की जिम्मेदारी ठेकेदारों को दे रखी है। एमसीडी की लाभकारी परियोजना सेल इनकी निगरानी करती है। कहीं से किसी प्रकार की अनियमितता की शिकायत मिलने पर विभाग कार्रवाई करता है।

सड़कों पर 18 गुना ज्यादा वाहनों का दबाव
दिल्ली की सड़कों पर करीब 18 गुना तक वाहनों का दबाव बढ़ा है। वाहनों की स्पीड घट गई और घनत्व कई गुना बढ़ गया है, जिसका नतीजा ये हुआ है कि गर्मी में सड़कों पर मानों आग की लपटें निकल रही हों। दिल्ली में दूसरे राज्यों से विस्थापित होकर आने वाले लोगों की संख्या के साथ-साथ यहां वाहनों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन सड़कों को चौड़ा करने और वाहनों के रखरखाव के लिए कोई महत्वपूर्ण काम नहीं किया गया। भारत सरकार और दिल्ली सरकार ने पार्किंग स्पेस बढ़ाने के लिए अब तक कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया है।

इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट को नियंत्रित नहीं कर पाए
दिल्ली में इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट को हम नियंत्रित नहीं कर पाए। दिल्ली मेट्रो से सफर करने की बजाय मोटरसाइकिल से चलना सस्ता है। दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक इतना जबरदस्त होता है कि लोग डीटीसी की बसों से चलना नहीं चाहते। दिल्ली में सड़कों के डिजाइन में भी खामियां हैं, जिसे सुधारने की बात कई साल से चल रही है, लेकिन इस पर काम नहीं हो रहा है। इसके अलावा ट्रैफिक को नियंत्रित करना आज भी बहुत दूर की बात है।

पार्किंग फीस बढ़ाने से भी कम नहीं हुए वाहन
दिल्ली में वाहनों की संख्या को कम करने की सोच के तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) बनाया था और सिविक एजेंसियों को इसे लागू करने के लिए कहा था, पिछले साल इस प्लान के तहत एनडीएमसी ने अपने अधिकार क्षेत्र में पार्किंग फीस को दोगुना कर दिया था, फिलहाल एमसीडी ने अभी भी इस प्लान को लागू नहीं किया है, लेकिन एनडीएमसी ने इस प्लान को लागू तो कर दिया, लेकिन इससे नई दिल्ली क्षेत्र में वाहनों की संख्या पर कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला है।

पीमैप को बिना देर किए लागू किया जाए
दिल्ली में पार्किंग रूल तो बना है, लेकिन ये लागू नहीं हो पाया है। 2019-20 में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया था कि दिल्ली की कॉलोनियों में लीगल पार्किंग के लिए पार्किंग एरिया मैनेजमेंट प्लान (पीमैप) को लागू किया जाए। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लाजपत नगर, कमला नगर और कृष्णा नगर में इसे लागू किया गया, लेकिन बाकी दिल्ली में इसे नहीं लागू किया गया, जबकि लीगल पार्किंग बनाने के लिए इसके अलावा और कोई रास्ता ही नहीं है।
-अनुमिता रॉय चौधरी, कार्यकारी निदेशक, आरएंडडी, सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट

सिंगापुर की तर्ज पर देश में लागू हो लागू हो एलटीए
दिल्ली में जिस तरह अनियंत्रित रूप से ट्रैफिक का दबाव है, इसे देखते हुए सिंगापुर की लैंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एलटीए) जैसी पॉलिसी दिल्ली और देशभर में लागू होनी चाहिए, जिसमें ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पास ही सड़कें, ट्रैफिक पुलिस, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और मजबूत आईटी सेल हो। हमारे देश में सड़कें पीडब्ल्यूडी के पास है, ट्रैफिक कंट्रोल पुलिस के पास है। राजनीति को दरकिनार करते हुए देश और राज्य की सरकारों को अब इस तरफ सोचना होगा और ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बदलना पड़ेगा।
-अनिल चिकारा, दिल्ली परिवहन विभाग के पूर्व डिप्टी कमिश्नर

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