दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने यूपी सरकार के इस फैसले की तारीफ करते हुए कहा- दूसरे राज्य भी समझ रहे महत्व
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के बढ़ते मामले को देखते हुए योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके मुताबिक हल्के लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज अब अपने घर पर होम आइसोलेशन में रह सकते हैं. हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते होंगी, जिसके लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यूपी सरकार के इस फैसले की तारीफ की है. सीएम केजरीवाल खुश हैं कि जो रास्ता उन्होंने दिखाया वो अब दूसरे राज्य भी फॉलो कर रहे हैं.
अपने ट्विटर अकाउंट पर खुशी जाहिर करते हुए केजरीवाल ने लिखा, मैं बेहद खुश हूं क्योंकि अब दूसरी सरकारें भी होम आइसोलेशन की महत्ता को समझ रही हैं. दिल्ली में कोरोना की तेजी से टेस्टिंग और होम आइसोलेशन, कोविड-19 के खिलाफ हमारी महत्वपूर्ण रणनीति रही है.
अरविंद केजरीवाल की खुशी की एक और वजह भी है. दरअसल जून महीने में जब सीएम केजरीवाल ने दिल्ली के अंदर यही व्यवस्था शुरू करने की बात कही थी तो उपराज्यपाल अनिल बैजल ने विरोध करते हुए फैसले को पलट दिया था. उपराज्यपाल के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन के बजाए शुरुआती पांच दिनों तक क्वारनटीन सेंटर में रखने की सलाह दी थी.
20 जून को उपराज्यपाल के साथ हुई बैठक में केजरीवाल ने अपना तर्क रखते हुए कहा था कि अगर सभी को सरकारी कोविड सेंटर में रखने की अनिवार्यता होगी तो लोग टेस्ट कराने से बचेंगे और कोरोना का संक्रमण और तेजी से फैलेगा.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में भी कहा, “दिल्ली का होम आइसोलेशन प्लान बढ़िया काम कर रहा था. मैंने खुद कई मरीजों से फोन पर बात की है. मैं केंद्र और एलजी से गुजारिश करूंगा कि वे इससे छेड़छाड़ न करें और उसे बहाल कर दें.”
वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर कहा था कि उनके फैसले से दिल्ली के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर और दबाव बढ़ेगा जो पहले से ही बेहद दबाव में है. इसलिए आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की पुरानी व्यवस्था को बहाल किया जाए.
दिल्ली के डिप्टी सीएम का कहना था कि पॉजिटिव टेस्ट होने वाले हर मरीज को क्वारनटीन सेंटर जाना पड़ा तो शहर में अराजकता फैलेगी. कोरोना का मरीज या तो अस्पताल जाना चाहता है या फिर घर पर रहना चाहता है.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था, “आज हर मरीज को, चाहे उसके सिम्प्टम्स माइल्ड ही क्यों न हों, क्वारनटीन सेंटर में जाना पड़ता है. भारी संख्या में मरीज आइसोलेशन सेंटर्स पहुंच रहे हैं.”
यानी कुल मिलाकर कहें तो उपराज्यपाल के फैसले को वापस लिए जाने के लिए दिल्ली सरकार को नाकों चने चबाने पड़े थे. तभी दिल्ली में दिल्ली सरकार का फॉर्मूला लागू हो पाया था. ऐसे में अगर दूसरे राज्य दिल्ली सरकार के फॉर्मूले को अपनाये तो खुश होना बेहद लाजिमी है.