दिल्ली की रैली में पीएम मोदी ने शाहीन बाग को लेकर कही बड़ी बात, केजरीवाल सरकार को बताया…

पीएम ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इसे लेकर राजनीति का खेल खेल रही है, और ये सारी बातें उजागर हो चुकी है, संविधान और तिरंगे को आगे रखते हुए ज्ञान बांटा जा रहा है और असली साजिश से ध्यान हटाया जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान ही न्यायपालिका और अदालतों का आधार है. इसके मुताबिक ही अदालतें चलती है.
हमारे देश के सर्वोच्च अदालत की भावना यही रही है कि विरोध प्रदर्शन से सामान्य लोगों को दिक्कत न हो, देश की संपत्ति का नाश न हो. प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ पर सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है, लेकिन ये लोग कोर्ट की बात नहीं मानते, परवाह नहीं करते हैं, और बातें करते हैं संविधान की, जिस संविधान ने न्यायपालिका को बनाया और न्यायपालिका जो कह रही है उसे मानने को तैयार नहीं है और संविधान की बातें करते हैं.

पीएम ने कहा कि दिल्ली की जनता ये सब देख रही है और समझ रही है. वो चुपचाप है. दिल्ली से नोएडा आने-जाने वाले लोग परेशान है.  इस मानसिकता को यहीं रोकना जरूरी है. अगर इनकी साजिश बढ़ी तो ये और गली और सड़क रोकेंगे. हम दिल्ली को इस अराजकता में नहीं झोक सकते. इसे रोकने काम सिर्फ दिल्ली के लोग कर सकते हैं.

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शाहीन बाग एक संयोग नहीं प्रयोग- पीएम मोदी

कड़कड़डूमा रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहीन बाग का मुद्दा उठाया. पीएम ने कहा कि दिल्ली में आतंकी हमले होने बंद हो गए, लेकिन जब इन्ही हमलों के गुनहगारों को बाटला हाउस में मार गिराया गया तो उसे फर्जी एनकाउंटर कहा गया. यही वे लोग हैं जिन्होंने बाटला हाउस में आतंकियों को मारने पर दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. यहीं वे लोग हैं जो भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वालों को आजतक बचा रहे हैं. दिल्ली के लोग क्या ये भूल सकते हैं, ये वोट बैंक की राजनीति है. तुष्टिकरण की राजनीति है.

पीएम मोदी ने कहा कि क्या ऐसे लोग दिल्ली में विकास के लिए सुरक्षित वातारण दे सकते हैं, कतई नहीं दे सकते हैं. पीएम ने कहा, “सीलमपुर हो, जामिया हो या फिर शाहीन बाग, बीते कुछ दिनों से CAA को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, क्या ये प्रदर्शन सिर्फ एक संयोग है, जी नहीं ये संयोग नहीं ये एक प्रयोग है. इसके पीछे राजनीति का एक ऐसा डिजाइन है जो राष्ट्र के सौहार्द्र को खंडित करने का इरादा रखता है. ये सिर्फ एक कानून का विरोध होता तो सरकार के इतने आश्वासन के बाद खत्म हो जाता.

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