दमोह: मगरमच्छ के हमले से महिला की मौत के बाद वन विभाग सतर्क

डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि बारिश के मौसम में नदियों का पानी मटमैला हो जाता है, जिससे मगरमच्छ दिखाई नहीं देते और अचानक हमला कर देते हैं। ब्यारमा नदी और इससे जुड़ी उपनदियों में सैकड़ों मगरमच्छ मौजूद हैं, जो बारिश के समय किनारों पर आ जाते हैं
दमोह जिले के नोहटा थाना क्षेत्र में कनियाघाट पटी गांव में मगरमच्छ के हमले से महिला की मौत के बाद वन विभाग ने लोगों से नदियों से दूर रहने की अपील की है। दमोह डीएफओ ईश्वर जरांडे ने एक पत्र भी जारी कर लोगों को सर्तक रहने के लिए कहा है, क्योंकि बारिश के दिनों में नदी का पानी मटमैला हो जाता है, जिससे मगरमच्छ या अन्य जीव नहीं दिखाई देते। बारिश का मौसम शुरू होते ही नदियों में मगरमच्छ की संख्या बढ़ जाती है। तेज बहाव में ये मगरमच्छ नदियों के किनारे बैठ जाते हैं, जिसकी आहट आम लोगों को नदी के तेज बहाव के कारण नहीं मिल पाती और बाद में ये हमला कर देते हैं। जिनसे बचने के लिए वन विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
नदी में हैं सैकड़ों मगरमच्छ
ब्यारमा नदी तेंदूखेड़ा और वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की सीमा के बीच बहती है। इस नदी में सैकड़ों मगरमच्छ रहते हैं। यदि गौर से देखा जाये तो तारादेही के समीप होकर यह सेहरी, झापन, दिनारी सहित कई गांव से गुजरने के बाद जबेरा ब्लाक पहुंचती है। इस बीच इस नदी में सैकड़ों मगरमच्छ दिख जाएंगे। इसके अलावा तारादेही की गोहदर ओर गौरैया नदी सहित छोटे, छोटे नालों और तालाबों में भी मगरमच्छ बारिश के दिनों में निवास बना लेते हैं। इसलिए इन स्थानों से बारिश के समय दूरी बनाकर रखना ही सुरक्षा है।
जलभराव वाले स्थलों पर न जाएं
तेंदूखेड़ा एसडीओ प्रतीक दुबे ने बताया तेंदूखेड़ा, तारादेही, तेजगढ़, झलोन के अंतर्गत ब्यारमा नदी और उससे लगी उपनदियों में भी मगरमच्छ बने रहते हैं। पूर्व वर्षों में यह देखे गये हैं। इसलिए ग्रामीणों के साथ किसान लोग भी अपने खेतों में साबधानी रखे, क्योंकि कहीं कहीं ये नदियों से निकलकर खेतों में भी छिप जाते है। तेंदूखेड़ा ब्लॉक में मगरमच्छ बड़ी संख्या में हैं, इसलिए बारिश के समय नदियों से दूरी बनाए ओर दूसरे लोगों को भी ऐसी जगह जाने से रोके।
दमोह डीएफओ ईश्वर जरांडे ने एक पत्र के माध्यम से सूचना जारी की है। जिनमें उन्होंने लिखा है दमोह जिल में वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा होने के कारण व्यारमा नदी, उपनदी एवं उनसे जुडे़ हुए नाले जहां पानी का भराव रहता है अपने पूरे उफान पर है। वर्षाऋतु में नदियों नालों में मगरमच्छ किनारों पर विचरण करते हैं। बारिश में मटमैला पानी होने के और पानी के बहाव के कारण मगरमच्छ आने की आहट भी नहीं लगती है। जिससे आम जनमानस को खतरा बना रहता है। इसलिए ब्यारमा नदी एवं उससे जुडे़ हुए नालों के किनारे निवास करते हैं। वह लोग जलभराव वाले स्थलों पर न जाएं और दूसरों को भी रोकें।