त्वचा पर दिखने वाले ये 5 निशान हो सकते हैं ‘हार्ट डिजीज’ का संकेत

हार्ट डिजीज को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है, क्योंकि इसके कई लक्षण (Heart Disease Symptoms) शुरुआत में साफ-साफ नजर नहीं आते। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी त्वचा भी आपके दिल की सेहत के बारे में कुछ जरूरी संकेत दे सकती है?

जी हां, हमारी स्किन शरीर के अंदर चल रही समस्याओं का संकेत (Signs of Heart Disease on Skin) देती है। आइए जानते हैं हार्ट डिजीज के लक्षण त्वचा पक कैसे नजर आ सकते हैं।

पैरों और निचले पैरों में सूजन
टखनों, पैरों या पंजों में लगातार बनी रहने वाली सूजन हार्ट फेल्योर का एक मुख्य संकेत हो सकती है। जब दिल ठीक तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता, तो ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है और नसों में दबाव बढ़ जाता है। इससे फ्लूएड रिसकर आसपास के टिश्यूज में जमा होने लगता है, जिससे सूजन हो जाती है। अक्सर यह सूजन दिन के अंत में या लंबे समय तक खड़े रहने के बाद बढ़ जाती है।

त्वचा पर नीला या बैंगनी रंग
होंठ, उंगलियों, पैर की उंगलियों या त्वचा पर अचानक नीले या बैंगनी रंग का दिखना इस बात का संकेत है कि शरीर के उस हिस्से में ऑक्सीजन वाला ब्लड ठीक से नहीं पहुंच पा रहा है। यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज या ब्लड वेसल्स में ब्लॉकेज के कारण हो सकता है, जो दिल के दौरे के बढ़ते खतरे से जुड़ा है।

त्वचा पर पीले-नारंगी, मोम जैसे उभार
पलकों, घुटनों, कोहनी या नितंबों पर दिखने वाले इन नरम, पीले-नारंगी रंग के उभारों को जैंथोमास कहा जाता है। ये लिपिड से भरी हुई गांठें होती हैं और शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल, खासतौर से हाई ट्राइग्लिसराइड्स का संकेत देती हैं। यह स्थिति एथेरोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकती है, जो हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के लिए रिस्क फैक्टर है।

त्वचा पर नीली या बैंगनी जालीदार पैटर्न
त्वचा पर दिखने वाला यह जालीदार, नीला-बैंगनी पैटर्न अक्सर ठंड के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के रूप में दिखता है। हालांकि, अगर यह स्थायी है या दर्द के साथ है, तो यह छिपी हुई स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। यह ऑटोइम्यून डिजीज या पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जुड़ा हो सकता है, जिसमें आर्टरीज संकरी हो जाती हैं, जिससे दिल तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है।

त्वचा पर अचानक दिखने वाले मोम जैसे दाने
अचानक दिखने वाले, अक्सर खुजलीदार, लाल-पीले रंग के ये छोटे-छोटे उभार ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर के बहुत ज्यादा होने का संकेत देते हैं। यह स्थिति अक्सर डायबिटीज से जुड़ी होती है। डायबिटीज और हाई ट्राइग्लिसराइड्स दोनों ही हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक के रिस्क फैक्टर हैं।

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