…तो क्या कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए बदली गई मेनका व वरुण की सीट
मेनका गांधी व वरुण गांधी की सीटों को आपस में बदलकर भाजपा ने कार्यकर्ताओं व पार्टी नेताओं की नाराजगी को थामने की कोशिश की है। दोनों ही सीटों पर उनके टिकट का विरोध हो रहा था। पीलीभीत में तो यह नाराजगी खुलकर सामने आ गई थी। सीटें बदलकर भाजपा ने दोनों लोकसभा क्षेत्रों के समीकरणों को साधने की कोशिश की है।
वर्ष 2014 में मेनका पीलीभीत तो वरुण सुल्तानपुर से सांसद चुने गए थे। दोनों ने बड़ी जीत हासिल की थी। मेनका गांधी पीलीभीत से 6 बार सांसद चुनी जा चुकी हैं। वह दो बार जनता दल, दो बार निर्दलीय और दो बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतीं।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह वरुण गांधी के लिए पीलीभीत छोड़कर आंवला चली गई थीं। इस चुनाव में भी मां-बेटा दोनों विजयी रहे। वर्ष 2014 में मेनका गांधी आंवला से फिर पीलीभीत चली गईं और वरुण को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाया गया। दोनों फिर विजयी रहे। भाजपा ने इस बार मेनका को सुल्तानपुर और वरुण गांधी को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है।
वरुण ने मोदी का नाम नहीं लिया, राहुल के प्रति रहे नरम
वरुण गांधी ने सुल्तानपुर में सांसद के रूप में कुछ जमीनी काम किए हैं लेकिन संगठन के साथ समन्वय नहीं होने के कारण इनका प्रचार-प्रसार नहीं हुआ। उन्होंने अपनी सांसद निधि से जिला अस्पताल में न्यू इमरजेंसी ब्लॉक बनवाया। इस पर पांच करोड़ खर्च हुए।
अपने वेतन से 27 लोगों के मकान बनवाकर दिए। वरुण ने पांच साल तक संगठन को हाशिये पर रखा। क्षेत्र में उनकी टीम समानांतर काम करती रही। संगठन को यह भी रास नहीं आया कि वरुण अपने भाषणों में पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा नेताओं का नाम नहीं लेते।
2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में मोदी की चुनावी सभा तक में वह शामिल नहीं हुए थे। उनका कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी के प्रति नरम रुख रहा। उन्होंने राहुल के खिलाफ बोलने या प्रचार के लिए जाने से इन्कार कर दिया था।
पांच साल में उनके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान, कार्यकर्ताओं-नेताओं की नाराजगी व संगठन से समन्वय की कमी को भांपते हुए भाजपा ने सुल्तानपुर से उनका टिकट काटकर पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है।
मेनका से अमेठी में मिल सकता है लाभ
हालांकि, पीलीभीत मेनका गांधी का गढ़ है लेकिन उन्हें सुल्तानपुर भेजकर भाजपा ने दोनों सीटों के समीकरण दुरुस्त किए हैं। मेनका के आने से सुल्तानपुर में वरुण के खिलाफ पार्टी के लोगों में पनपी नाराजगी दूर हो जाएगी। मेनका पति संजय गांधी के काम व क्षेत्र से जुड़ाव का हवाला देकर सहानुभूति बटोर सकती हैं। वह कांग्रेस पर हमलावर भी हो सकती हैं।
राहुल गांधी की न्यूनतम आय योजना पर उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी से इन्कार कर दिया कि वह शेखचिल्लियों के सवालों का जवाब नहीं देती हैं। इसका लाभ भाजपा को पड़ोस की अमेठी सीट पर मिल सकता है जहां राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा से स्मृति ईरानी चुनाव मैदान में हैं। यह भी संभव है कि अमेठी क्षेत्र में मेनका गांधी से राहुल के खिलाफ प्रचार कराया जाए।
जहां तक पीलीभीत का सवाल है, वहां पार्टी संगठन व कुछ विधायकों में मेनका गांधी के प्रति नाराजगी थी। उन्हें उम्मीदवार न बनाए जाने को लेकर पत्र भी लिखा गया था। उनकी जगह वरुण को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने नाराजगी कुछ हद तक दूर कर दी है। यूं भी वरुण के लिए पीलीभीत नया नहीं है।