यहाँ कुंवारी लड़किया करती है ऐसा काम, जान कर हैरान रह जायेंगे आप

इसमें कोई शक नहीं कि दुनिया भर में महिलाओ के साथ होने वाली छेड़छाड़ की वारदाते दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. जी हां इस दुनिया में जब भी कोई महिला बाहर सड़क पर जाती है, तो उसे कई बुरी नजरो का सामना करना पड़ता है. मगर आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जहाँ महिलाएं बुरी नजर से बचने के लिए अपने शरीर के कुछ खास अंगो पर ऐसा काम करवाती है, जिसके बारे में जान कर आपके होश ही उड़ जायेंगे. बता दे कि अब जिस प्रथा के बारे में हम आपको बताने वाले है, वो छत्तीसगढ़ में देखने को मिलती है. जी हां लोगो की बुरी नजर से बचने के लिए महिलाओ ने इस प्रथा को कई साल पहले ही अपना लिया था.

गौरतलब है कि आज के जमाने में टैटू तो हर कोई बनवाता है, क्यूकि आज के समय में इसे एक फैशन माना जाता है, लेकिन आपको जान कर ताज्जुब होगा कि छत्तीसगढ़ रायपुर में रहने वाले आदिवासियों के लिए टैटू बनवाना कोई फैशन नहीं बल्कि एक प्रथा बन चुकी है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बैगा आदिवासी की सभी लड़कियों को बारह से बीस साल की उम्र में गोदना गुदवाना जरुरी माना जाता है. इसके इलावा लड़कियों को अपने शरीर के कुछ खास हिस्सों पर ही गुदना गुदवाना पड़ता है.

बता दे कि यहाँ उम्र के हिसाब से गोदना गुदवाया जाता है, यानि जिसकी जितनी उम्र होती है, उसके अनुसार शरीर के अंगो पर गोदना गोद दिया जाता है. गौरतलब है कि इसमें सबसे पहले माथे पर, फिर पैर, फिर जांघ और फिर हाथ के बाद चेहरे पर भी ये गोदना गुदवाया जाता है. इसके साथ ही सबसे आखिर में पीठ पर गोदना गुदवाया जाता है. आपको जान कर ताज्जुब होगा कि सालो पहले बैगा जनजातियों ने कुंवारी लड़कियों को बुरी नजर से बचाने के लिए इस प्रथा को शुरू किया था.

दरअसल सालो पहले यहाँ एक राजा होता था, जो बहुत कामुक और बुरा था. यहाँ तक कि वो हर रोज नयी लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाता था. ऐसे में इलाके के सभी लोग उससे डरते थे. इसके इलावा वह राजा लड़की को अपना शिकार बनाने के लिए उसके शरीर पर गोदना गुदवा देता था. वही गांव के लोगो ने इससे परेशान हो कर इस नियम को एक प्रथा के रूप में स्वीकार कर लिया. ऐसे में गांव के लोगो ने ये फैसला किया कि अब वो खुद कुंवारी लड़कियों के शरीर पर गोदना गुदवाएंगे, ताकि उन्हें राजा से बचाया जा सके. बस तभी से ये प्रथा चली आ रही है.

हालांकि इससे लड़कियों को काफी तकलीफ होती है, लेकिन फिर भी आज के समय में भी इस प्रथा को माना और निभाया जाता है.

 
 
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