‘तो इस्तीफा दे दो’, मराठा आरक्षण को लेकर संजय राउत ने छगन भुजबल पर साधा निशाना

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने मंत्री छगन भुजबल पर मराठा आरक्षण को लेकर हमला बोला। राउत ने कहा कि अगर भुजबल को लगता है कि मराठा आरक्षण के फैसले से ओबीसी समुदाय के साथ नाइंसाफी हुई है तो उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। भुजबल ने मराठा आरक्षण पर सरकार के फैसले से नाराजगी जताई थी और कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर भुजबल को लगता है कि मराठा आरक्षण के फैसले से ओबीसी समुदाय के साथ नाइंसाफी हुई है, तो उन्हें अपनी आत्म-सम्मान की खातिर और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
राउत ने यह भी आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण आंदोलन को हवा देकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश की।
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ओबीसी समुदाय के बड़े नेता भुजबल ने खुद माना है कि उनके समुदाय के साथ नाइंसाफी हुई। इसके बावजूद वह उस मुख्यमंत्री के अधीन काम कर रहे हैं, जिनके फैसले से यह नाइंसाफी हुई।
राउत ने तंज कसते हुए कहा कि अगर भुजबल को अपने समुदाय की इतनी फिक्र है, तो उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए।
कैबिनेट की बैठक से दूरी
छगन भुजबल ने बुधवार को मराठा आरक्षण पर सरकार के ताजा फैसले से नाराजगी जताई थी और कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। सरकार ने मंगलवार को एक आदेश (जीआर) जारी किया, जिसमें पात्र मराठों को कुणबी (ओबीसी) जाति प्रमाणपत्र देने की बात कही गई।
भुजबल को यह फैसला रास नहीं आया और उन्होंने इसे कानूनी तौर पर चुनौती देने की बात कही। राउत ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक से दूरी दिखाना यही बताता है कि भुजबल को मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं रहा।
‘अगर समुदाय की फिक्र है तो….’
राउत ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा, “पूर्व केंद्रीय मंत्री सी डी देशमुख ने जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मतभेद हुए, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। भुजबल को भी ऐसा ही करना चाहिए। अगर वह अपने समुदाय के लिए लड़ना चाहते हैं, तो नैतिकता और आत्म-सम्मान के लिए इस्तीफा देकर अपनी बात साफ कर दें।”