तो इसलिए अमेरिका में भी केन्द्रीय बैंक का चीफ डोनाल्ड ट्रंप की नहीं सुनता, जानें क्यों?
किसी देश की सरकार और उसके केन्द्रीय बैंक के बीच खींचतान सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आम बात है. बीते दिनों भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और केन्द्र सरकार के बीच खींचतान के चलते गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया. ऐसी ही खींचतान दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में भी जारी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सलाह को न मानते हुए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. फेडरल रिजर्व के प्रमुख जिरोम पॉवेल ने ट्रंप के दबाव को नजरअंदाज करते हुए एक साल में चौथी बार इजाफा कर दिया है.
अमेरिका में ब्याज दरों में हुए इजाफे से अमेरिकी शेयर बाजार और सरकार के बॉन्ड में गिरावट दर्ज हुई. इसके साथ ही इस फैसले के असर से दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट आई और डॉलर के मुकाबले वैश्विक मुद्राओं में गिरावट दर्ज हुई. अमेरिकी सरकार और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए ब्याज दरों में हुई इस बढ़ोत्तरी के अलावा फेडरल रिजर्व का दावा कि वह आगे भी ब्याज दरों में और कटौती का ऐलान कर सकता है. अमेरिका में एक निवेश संस्था ने रॉयटर को बताया कि फेडरल रिजर्व ने मौद्रिक नीति निर्धारण में गलती की है क्योंकि अमेरिका में पहले ही ब्याज दर में बड़ा इजाफा किया जा चुका है.
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गौरतलब है कि अमेरिकी केन्द्रीय बैंक ने इस साल चौथी बार ब्याज दरों में इजाफे का ऐलान किया है. इस चौथे इजाफे से अमेरिका में ब्याज दर 2.25 फीसदी से बढ़ाकर 2.50 फीसदी कर दिया गया है. जिरोम पॉवल ने इजाफे के साथ कहा है कि वह प्रति माह 50 बिलियन डॉलर की कटौती अपनी बैलेंसशीट में करेंगे. पॉवल के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में अच्छे आर्थिक आंकड़ों के साथ मजबूत हो रही है और इसलिए वह उस हद तक ब्याज दरों में इजाफा कर सकते जहां तक विकास दर को नुकसान न पहुंचे.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूती के संकेत दे रहा है वहीं बीते एक साल के दौरान अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में सुधार दर्ज हो रहा है. इस स्थिति में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि ब्याज दरों में इजाफे से अमेरिका में विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ने का खतरा लिहाजा केन्द्रीय बैंक को ब्याज में और इजाफा नहीं करना चाहिए.
अपने ने अपनी दलील में कहा है कि फेडरल रिजर्व को देखने के जरूरत है कि अमेरिका ने चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़ रखा है और अमेरिका इस वॉर में जीतने की कगार पर है. वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ट्रंप ने कहा कि फ्रांस मं् स्थिति चिंताजनक है और अमेरिका के अलावा अहम अर्थव्यवस्थाएं परेशान हैं और इसके विपरीत अमेरिकी डॉलर वैश्विक स्तर पर मजबूत हो रहा है और महंगाई लगभग न के बराबर है. ऐसी स्थिति में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में इजाफा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है.