तुर्किये अदालत: इस्राइली पीएम नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट

तुर्किये के इस्तांबुल मुख्य अभियोजक कार्यालय ने इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू समेत 37 लोगों के खिलाफ जनसंहार के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। इन आरोपों का संबंध गाजा में चल रहे युद्ध से है, जिसे इस्राइल ने अक्तूबर 2023 में हमास के हमलों के बाद शुरू किया था।

किन-किन लोगों के खिलाफ वारंट जारी?

इस्तांबुल अभियोजन कार्यालय के बयान के मुताबिक, जिन लोगों पर गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है, उनमें इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री इस्राइल कैट्ज, आईडीएफ के चीफ ऑफ स्टाफ एयाल जमीर, राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन-गवीर के शामिल हैं।

तुर्किये का आरोप क्या है?

तुर्किये के अभियोजकों ने दावा किया है कि इस्राइल गाजा में नागरिकों को जानबूझकर निशाना बना रहा है, और यह कार्रवाई जनसंहार की श्रेणी में आती है। उन्होंने 17 अक्तूबर 2023 की अल-अहली बैपटिस्ट हॉस्पिटल की घटना को भी अपने आरोपों का हिस्सा बनाया है। हालांकि, इस्राइल और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने बाद में यह निष्कर्ष निकाला था कि यह विस्फोट फलस्तीनी आतंकी संगठन ‘इस्लामिक जिहाद’ के रॉकेट की विफल लॉन्चिंग से हुआ था, न कि इस्राइल के हमले से।

तुर्किये का दोहरा रवैया

तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन लंबे समय से हमास के समर्थक माने जाते हैं। इसी के साथ, तुर्किये की न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते रहे हैं। अतीत में तुर्किये के कई पत्रकारों और विपक्षी नेताओं, जैसे कि एकरेम इमामओग्लू (जो इस्तांबुल के मेयर और एर्दोआन के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं), के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए जा चुके हैं।

तुर्की पर खुद ‘जनसंहार’ का आरोप

बता दें कि 1915 से 1923 के बीच तुर्किये पर अपने ही देश में 15 लाख आर्मेनियाई लोगों के जनसंहार का आरोप है। इस अवधि में लाखों आर्मेनियाई मारे गए या भुखमरी से मर गए, जबकि लगभग पांच लाख लोग रूस की ओर पलायन कर गए। अमेरिका, कनाडा, रूस और यूरोपीय संघ के अधिकांश देश इस आर्मेनियाई जनसंहार को आधिकारिक रूप से मान्यता देते हैं।

हालांकि, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और इस्राइल जैसे देश अब तक इसे औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देते, क्योंकि तुर्की के साथ उनके राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन अगस्त 2025 में नेतन्याहू ने व्यक्तिगत रूप से इस जनसंहार को स्वीकार किया था, हालांकि इसे इस्राइल की आधिकारिक मान्यता नहीं माना गया।

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