अभी अभी: तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मुस्लिम महिलाओं को…
सुप्रीम कोर्ट आज ये तय करेगा कि मुस्लिम महिलाओं के लिए मान-सम्मान के साथ जीने का संवैधानिक अधिकार बड़ा है या तीन तलाक की प्रथा, जिसके लिए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला दिया जा रहा है? मुस्लिम महिलाओं की लंबी लड़ाई के बाद शीर्ष अदालत से आने वाले इस ऐतिहासिक फैसले पर देश भर की नजर रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष छह दिन की मैराथन सुनवाई के दौरान सभी पक्षों ने तीन तलाक के समर्थन और विरोध में अपनी दलीलें रखीं।
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तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आज, मुस्लिम महिलाओं को मिल सकती है आजादी
तीन तलाक 1400 वर्षों से चली आ रही परंपरा है। यह अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है कि वह 1400 वर्षों से चली आ रही परंपरा को गैरकानूनी या असंवैधानिक करार दें। यह ‘फिसलन वाली ढलान’ है, लिहाजा अदालत को इस मामले में एहतिहात बरतने की जरूरत है।
बोर्ड ने सुनवाई के अंतिम चरण में कहा था कि वह नहीं चाहता है कि तीन तलाक की प्रथा जारी रहे इसलिए उसने यह तय किया कि नए निकाहनामे में तीन तलाक न लेने की शर्त होगी। बोर्ड ने कहा कि इस संबंध में देशभर के तमाम काजियों को एडवाजरी भेजने का निर्णय लिया गया है।
तीन तलाक इस्लाम धर्म के मूल में नहीं है। तीन तलाक इस्लाम की सभी चीजों का उल्लंघन है। शरीयत, कुरान है न कि धर्मगुरुओं का छंद या अनुवाक्य है। कुरान में तलाक की प्रक्रिया दर्ज है। इस्लाम की विभिन्न विचारधाराओं ने अपनी पसंद के हिसाब से कुरान के तत्वों को तोड़-मरोड़ लिया है।