तानसेन के शिष्य रहे हैं इनके पूर्वज, ऐसे मिली थी बॉलीवुड में पहली पहचान
जयपुर. दिलीप सेन ग्रेट म्यूजिशियन जमाल सेन के बेटे हैं, जबकि समीर सेन, दिलीप सेन के सगे भाई शंभु सेन के बेटे हैं। दिलीप सेन 60 साल पूरे कर चुके हैं जबकि, उनके भतीजे समीर सेन उम्र में उनसे एक साल बड़े हैं। दोनों का जन्म सुजानगढ़ में हुआ। दिलीप सेन-समीर सेन करीब 250 फिल्मों में 1500 सॉन्गस में अपना म्यूजिक दे चुके हैं। कहते हैं सेन परिवार के एक पूर्वज केसरी सेन कभी तानसेन के शिष्य रहे थे।गुमनामी की जिंदगी जीते थे पिता…
फिल्मी दुनिया में दिलीप सेन के पिता जमाल सेन का कोई जवाब नहीं था, लेकिन वे आखिरी दिनों में गुमनामी की जिंदगी जीते हुए चले गए। बाद में उनके बेटे दिलीप सेन और पोते समीर सेन की जोड़ी उन अंधेरों से निकल कर रोशनी में आई। यशराज फिल्म्स की ‘आईना’ और ‘ये दिल्लगी’ ने उन्हें टॉप क्लास के म्यूजिशियंस में लाकर खड़ा कर दिया। जिस मुकाम के लिए जमाल सेन तरस गए, उस मुकाम को चाचा-भतीजे की इस जोड़ी ने हासिल कर लिया
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इस म्यूजिशियन जोड़ी का म्यूजिक सफर शुरू हुआ जगदीप के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘सूरमा भोपाली’ (1988) से। फिल्म ‘शोले’ में जगदीप के किरदार का नाम सूरमा भोपाली ही था। इस फिल्म के लिए उन्होंने अपना डेब्यू गीत आशा भोसले की आवाज में रिकॉर्ड किया था- ‘बादल सताए, बिजली डराए…।’ अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, रेखा और डैनी डोंगजप्पा जैसे सितारे इस फिल्म में शामिल थे, लेकिन इससे दिलीप सेन-समीर सेन को कुछ खास हासिल नहीं हुआ। उन्हें पहली बार पहचान मिली संजय दत्त-रवीना टंडन स्टारर फिल्म ‘जीना मरना तेरे संग’ (1992) से।
दिलीप सेन-समीर सेन जब साजिद नाडियाडवाला की फिल्म ‘जुल्म की हुकूमत’ के लिए गीतों की रिकॉर्डिंग का मुहूर्त कर रहे थे, तब उसमें नारियल पूजन के लिए यशराज चोपड़ा को बुलाया गया था। इसमें म्यूजिक के सुर जब यशराज चोपड़ा के कान में पहुंचे तो सीधे दिल में उतर गए। फिर यशराज बैनर की उन्हें दो फिल्में मिलीं-‘आईना’ और ‘ये दिल्लगी’। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिल्म ‘ये दिल्लगी’ का सैफ अली खां पर फिल्माया गया एक गीत तो बहुत ही मशहूर हुआ- ‘जब भी कोई लड़की देखूं मेरा दिल दीवाना बोले, ओले-ओले-ओले।’ यशराज चोपड़ा, दिलीप सेन को बातचीत में ‘तानसेन’ कहकर ही बुलाते थे। दिलीप सेन डांस मास्टर से म्यूजिशियन बने जबकि, समीर सेन ने अपने पिता शंभु सेन से क्लासिकल सिंगिंग सीखी थी।
ऐसा बना गाना ओले-ओले…
यशराज बैनर की फिल्म ‘ये दिल्लगी’ का चर्चित हुआ गीत ‘ओले-ओले’ पहले फिल्म में नहीं आ रहा था। दिलीप सेन-समीर सेन ने तीन गाने तैयार किए थे। इसमें दो गीत तो उन्होंने यशराज चोपड़ा को सुना दिए, लेकिन ‘ओले-ओले’ को हल्का गीत मानते हुए नहीं सुनाया। जब दोनों पसंद नहीं आए तो यह तीसरा भी सुना दिया। तब दिलीप सेन से यशराज चोपड़ा बोले- ‘तानसेन, यह इस साल का सबसे हिट गाना होगा।’ वही हुआ। यह ‘ओले-ओले’ शब्द कहां से आया, इसकी भी एक अलग कहानी है।
एक बार मुंबई में दिलीप और समीर कार में जा रहे थे तो अचानक तेज बारिश आई। दिलीप ने कार की छत से आती आवाज सुनकर कहा- ‘कहीं ओले तो नहीं गिर रहे।’ समीर ने कहा कि कहीं गीत में ‘ओले’ इस्तेमाल हो सकते हैं। घर जाते ही दोनों ने गीतकार समीर को बुलाकर एक धुन सुना दी जिसके आखिर में ‘ओले-ओले’ दिलीप ने बोलकर बताया। ओले-ओले से पहले वाली धुन को समीर ने गीत में बदल दिया।
जब पहली बार लता से हुआ सामना
‘आईना’ के गीत ‘गोरिया रे गोरिया’ के लिए जब पहली बार लता मंगेशकर स्टूडियो आईं तो दिलीप सेन का दिल जोरों से धड़क रहा था। उन्हीं की जुबानी सुनिए- ‘हम नए थे और लता जी का बड़ा नाम था। मैं भूल गया कि मैं म्यूजिक डायरेक्टर हूं और क्रेज ऐसा कि सोचा उनके साथ फोटो खिंचवाऊंगा। मुझसे कहा गया कि उनसे ज्यादा बात मत करना। मैंने उन्हें गाना याद कराया और एक कोने में आकर खड़ा हो गया। गाना हो गया।
‘आईना’ के गीत ‘गोरिया रे गोरिया’ के लिए जब पहली बार लता मंगेशकर स्टूडियो आईं तो दिलीप सेन का दिल जोरों से धड़क रहा था। उन्हीं की जुबानी सुनिए- ‘हम नए थे और लता जी का बड़ा नाम था। मैं भूल गया कि मैं म्यूजिक डायरेक्टर हूं और क्रेज ऐसा कि सोचा उनके साथ फोटो खिंचवाऊंगा। मुझसे कहा गया कि उनसे ज्यादा बात मत करना। मैंने उन्हें गाना याद कराया और एक कोने में आकर खड़ा हो गया। गाना हो गया।
सबने कहा- ‘अच्छा हो गया, लेकिन मैं डरता हुआ सिंगर रूम में उनके पास गया और कहा कि ‘सजना रे सजना मेरी नींद उड़ाकर ले जा’ में बीच में कुछ गैप आ रहा है। वे फिर से रिकॉर्डिंग के लिए तैयार हो गईं।’ तब बीच में कुछ गलती हो जाने पर भी पूरा गाना फिर से रिकॉर्ड करना पड़ता था। इस पर लता जी ने दिलीप सेन की खुलकर तारीफ की। दिलीप सेन ने बताया कि बाद मे्ं फिल्म ‘ये दिल्लगी’ में लता जी ने एक ही दिन में चार गाने रिकॉर्ड कराए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
चार पीढ़ियों से म्यूजिक का सफर जारी
समीर सेन के बेटे सोहैल सेन भी इन दिनों फिल्मों में म्यूजिक डायरेक्शन का काम कर रहे हैं। फिल्म ‘गुंडे’ में उन्होंने म्यूजिक दिया था, जिसका एक गाना काफी चर्चित रहा-‘तूने मारी एंट्रियां, दिल में बजी घंटियां’। ‘एक था टाइगर’ में भी उनका म्यूजिक है।
दिलीप सेन कहते हैं- “कपूर खानदान के बाद फिल्मों में हमारा परिवार ही ऐसा है जिसमें चार पीढ़ियों से म्यूजिक का सफर पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है। हम जल्दी ही एक होम प्रोडक्शन शुरू करेंगे, जिसकी पहली फिल्म की कहानी मैं फाइनल कर चुका हूं।”