ट्रंप टैरिफ के कारण कीमतों पर नहीं बनी सहमति, खाली हाथ लौटे अमेरिकी खरीदार

टैरिफ बढ़ने से अमेरिका से आए खरीदारों का प्रदेश के उद्यमियों से तालमेल नहीं बन सका। टैरिफ की वजह से दोनों पार्टियों के बीच कीमतों पर सहमति नहीं बन पाई।

उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो में भी ट्रंप टैरिफ का असर देखने को मिला है। टैरिफ बढ़ने से अमेरिका से आए खरीदारों का प्रदेश के उद्यमियों से तालमेल नहीं बन सका। टैरिफ की वजह से दोनों पार्टियों के बीच कीमतों पर सहमति नहीं बन पाई। उद्यमियों ने अपने उत्पादों की कीमतें कम करने से इन्कार कर दिया। इस कारण अमेरिका के खरीदार ऑर्डर नहीं सके। उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया था। टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को नुकसान हुआ। उनके ऑर्डर रुक गए। टैरिफ बढ़ाने के कारण भारत ने यूरोप, अफ्रीका समेत अन्य देशों के बाजार में कारोबार करने का फैसला लिया। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो-2025 में रूस को ही सहयोगी देश बनाया गया। रूस समेत 85 देशों के 500 से अधिक खरीदार ट्रेड शो में पहुंचे हैं। ट्रेड शो में अमेरिका के भी 5-6 खरीदार पहुंचे। उन्होंने पहले तीन दिन में प्रदेश के एग्जीबिटर्स के साथ बी-2-बी बैठकें की जो बेनतीजा रहीं।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के उपनिदेशक रोहित तेजपाल ने बताया कि अमेरिका के खरीदारों के साथ बैठकें हुई हैं लेकिन टैरिफ के कारण कीमतों पर सहमति नहीं बन सकी। अमेरिकी खरीदार जिन कीमत पर ऑर्डर देना चाह रहे थे उन पर एग्जीबिटर्स ने उत्पाद बेचने से इन्कार कर दिया। पहले तीन दिन कई बैठक के बाद भी सहमति नहीं बन सकी। जिसके बाद अमेरिका के खरीदार अपने देश लौट गए।

ऑर्डर ज्यादा, उद्यमियों की कंपनी में जाएंगे खरीदार
फियो के पदाधिकारियों ने बताया कि कई खरीदारों के ऑर्डर काफी ज्यादा हैं। ट्रेड शो में पहुंचे प्रदेश के एग्जीबिटर्स उतने उत्पाद एकसाथ उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। इस पर विदेशी खरीदारों ने उनकी कंपनियों में जाकर निरीक्षण करने का फैसला लिया है। उसके बाद निवेश का फैसला लेंगे।

3 से 6 माह में दिखेगा असर, यूरोप से ज्यादा उम्मीदें
फियो के पदाधिकारियों ने बताया कि ट्रेड शो में अब तक 600 से अधिक एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर यूरोपीय देशों के साथ हैं। वहां मार्केट अच्छी है और कीमतें भी अच्छी मिल रही हैं। टेक्सटाइल के अलावा सोलर पैनल, चावल, आम, लेदर, कारपेट और टेक्नोलॉजी से जुड़े उत्पादों के सबसे अधिक एमओयू हो रहे हैं। इस बार 500 करोड़ से अधिक के ऑर्डर मिलने की उम्मीद हैं। करीब 3 से 6 माह में इसका असर दिखेगा। वहीं रूस के अलावा दक्षिण अमेरिका, खाड़ी के देशों और अफ्रीकी मुल्कों के खरीदारों से भी करार हुए हैं।

अमेरिका के खरीदारों के साथ कोई एमओयू नहीं हो पाया। यूरोपीय और अफ्रीकी देशों से काफी अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है। काफी एमओयू भी हो चुके है। इस बार 500 करोड़ से अधिक के एमओयू होने की उम्मीद है।
-डाॅ. अजय सहाय, महानिदेशक व सीईओ, फियो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button