टैरिफ बढ़ने के बाद अमेरिका जाने वाले सभी ऑर्डर होल्ड

ट्रंप सरकार की तरफ से पारस्परिक शुल्क की घोषणा का दूरगामी असर चाहे जो भी हो, फिलहाल गारमेंट और लेदर आइटम जैसे रोजगारपरक सेक्टर में अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर होल्ड पर चले गए हैं। निर्यातकों के मुताबिक पुराने ऑर्डर की डिलीवरी भी अमेरिकी खरीदारों ने फिलहाल रोक देने के लिए कहा है।

निर्यातक और आयातक दोनों ही स्थिति के साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। भारतीय निर्यातकों को उम्मीद है कि सरकार भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत के पारस्परिक शुल्क को लेकर अमेरिका की सरकार के वार्ता कर सकती है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) होने तक इसे टालने की गुजारिश कर सकती है।

वियतनाम ने खत्म किया टैक्स

दूसरी तरफ वियतनाम ने पारस्परिक शुल्क की घोषणा के बाद अमेरिकी वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त करने की घोषणा की है। वियतनाम पर 46 प्रतिशत का पारस्परिक शुल्क लगाया गया था। अब वियतनाम को अमेरिका से शुल्क में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने पत्र लिखकर सरकार से पारस्परिक शुल्क को टालने के संबंध में अमेरिका से बातचीत करने का अनुरोध किया है।

इन सबके बीच अमेरिका के खरीदार भारतीय निर्यातकों से डिलीवरी कीमत में 10-26 प्रतिशत तक की छूट मांग रहे हैं। हालांकि गारमेंट और लेदर सेक्टर के भारतीय निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका के बाजार में कई देशों से भारी प्रतिस्पर्धा होने के नाते हम पहले से ही कम मार्जिन पर काम करते हैं, इसलिए अमेरिकी खरीदारों को छूट देने की गुंजाइश नहीं है।

अमेरिकी खरीदार मांग रहे छूट

काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन आर.के. जालान ने बताया कि कुछ खरीदार तो कीमत में 26 प्रतिशत तक की छूट मांग रहे हैं। हम 6-7 प्रतिशत के मार्जिन पर काम करते है, इसलिए हम अधिक से अधिक 2.5-3 प्रतिशत तक की छूट दे सकते हैं।अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने बताया कि कुछ बड़े निर्यातक अमेरिकी खरीदार को थोड़ी बहुत छूट दे सकते हैं, लेकिन बाकी के लिए यह संभव नहीं है।

कुछ अमेरिकी खरीदार छूट नहीं देने की स्थिति में पुराने आर्डर को रद करने की भी धमकी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तो नए-पुराने सभी ऑर्डर ठप है। अगले कुछ सप्ताह के बाद ही निर्यात को लेकर कुछ कहा जा सकता है। अपैरल के निर्यातक व फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस के पूर्व अध्यक्ष ए. शक्तिवेल ने बताया कि अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है। हमने शुल्क को लेकर सरकार से ट्रंप सरकार से बातचीत करने की गुजारिश की है।

एक स्थिति यह भी बन रही है कि भारत की अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर वार्ता शुरू हो गई है और आगामी सितंबर-अक्टूबर तक पहले चरण का समझौता हो जाएगा। बीटीए होने से कई वस्तुओं पर ऐसे ही शुल्क खत्म हो जाएंगे।

क्यों छूट मांग रहे हैं अमेरिकी खरीदार?
कंफेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सिटी) के पूर्व अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि ट्रंप सरकार के रुख को देखते हुए हमें घोषित शुल्क में कटौती की उम्मीद है। अमेरिका के खरीदार भी इसलिए अभी व्यापार की कोई बात नहीं कर रहे हैं। वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को 10.5 अरब डॉलर के टेक्सटाइल का निर्यात किया था। लेदर आइटम का अमेरिका में लगभग एक अरब डॉलर का निर्यात किया जाता है।

पारस्परिक शुल्क लगने के बाद भारत व अन्य देशों से अमेरिका जाने वाली वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। इससे अमेरिका के खुदरा ग्राहक खरीदारी से कतराएंगे। इस स्थिति को टालने के लिए अमेरिका के आयातक कीमत में रियायत देने की मांग कर रहे हैं, ताकि अमेरिका के ग्राहकों पर इसका कम बोझ पड़े और उनका धंधा चलता रहे।

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