टेलीग्राफ से लेकर 5G तक का सफर और अब स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी पर है हमारा फोकस

देश आज 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज देश जहां खड़ा है उस आधुनिक भारत की नींव इसके गौरवशाली इतिहास में है। ऐसा ही एक सेक्टर भारत के टेलीकॉम सेक्टर की बात करें तो हम हाई स्पीड 5G नेटवर्क तक पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जिसके पास अपनी टेलीकॉम टेक्नोलॉजी सिस्टम है।

इतिहास में देखें तो भारत में टेलीकॉम की शुरुआत साल 1851 में टेलीग्राफ लाइन से हुई और आज देश में 97 करोड़ टेलीकॉम यूजर हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको आज भारत की टेलीकॉम सेक्टर के डेवलपमेंट की जानकारी शेयर कर रहे हैं।

भारत में टेलीफोन की शुरुआत

भारत में टेलीफोन सर्विस की शुरुआत साल 1882 से हुई। देश में सबसे पहले कोलकाता, बॉम्बे (मुंबई) और मद्रास (चेन्नई) में टेलीफोन एक्सचेंज ओपन किए गए। उस वक्त देश में ब्रिटिश शासन था और टेलीफोन सर्विस को आम लोगों से दूर रखा गया था। यह सर्विस सिर्फ कुछ चुनिंदा सेवाओं के लिए थी। कोलकाता एक्सचेंज की बात करें तो शुरुआत में सिर्फ 93 ग्राहक थे।

आजादी के बाद भी टेलीफोन कनेक्शन मिलना बिलकुल आसान नहीं था। आवेदन करने के बाद लोगों को महीनों और सालों का इंतजार करना पड़ता था। टेलीकॉम सेक्टर में सुधार 1990 में आर्थिक सुधार के बाद ही आया

प्राइवेट कंपनियों की शुरुआत

साल 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद देश में टेलीकॉम सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री हुई। नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 1994 के बाद इस सेक्टर में विदेशी निवेश भी आने लगा और मोबाइल फोन, रेडियो पेजिंग और इंटरनेट सर्विस की शुरुआत हुई।

पहली मोबाइल कॉल

देश में पहली मोबाइल कॉल 31 जुलाई 1995 को हुई। यह कॉल केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु के बीच हुई। उस वक्त मोबाइल फोन आज की तरह हल्के नहीं थे। इसके साथ नेटवर्क भी काफी कमजोर था और एक कॉल के लिए कॉलर और रिसीवर को करीब 16 रुपये प्रति मिनट तक देने होते थे।

हर जेब तक पहुंचा मोबाइल

प्राइवेट कंपनियों और विदेशी निवेश के आने से देश में टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। 2000 के दशक तक मोबाइल खास लोगों से आम लोगों के बीच में पहुंच गया। देश में तेजी से मोबाइल सब्सक्राइबर्स का बेस बढ़ने लगा। साल 1999 में देश में 12 लाख लोगों के पास मोबाइल था और 20003 में करीब 2.73 करोड़ लोगों तक इसकी पहुंच हो गई। इसके साथ 2005 तक मोबाइल कनेक्शन ने लैंडलाइन को भी पीछे छोड़ दिया।

यह सब सस्ते GSM/CDMA नेटवर्क, प्रति मिनट के बजाय प्रति सेकंड बिलिंग सिस्टम और सस्ते चाइनीज फोन की वजह से मुमकिन हो पाया। साल 2008 में भारत 30 करोड़ कनेक्शन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट बन गया।

डेटा और स्मार्टफोन की एंट्री

2010 में एक बार फिर से देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री में क्रांती आई। सस्ते एंड्रॉयड फोन और डेटा के साथ लोग की पहुंच इंटरनेट से हुई। 2012 में Airtel ने 4G लॉन्च किया और 2016 में मुकेश अंबानी ने जब रिलायंस जियो के साथ इस इंडस्ट्री में कदम रखा तो सबकुछ बदल गया। उन्होंने वॉइस कॉलिंग, रोमिंग और डेटा के प्लान बदलकर टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर ही बदल दी। 2018 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल डेटा यूज करने वाला देश बन गया।

5G की शुरुआत और 6G की राह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2022 में देश में 5जी सर्विस लॉन्च की। 2025 तक देश के सभी बड़े शहरों और जिलों में 5जी नेटवर्क मौजूद है। इसके साथ ही ग्रामीण भारत में भी 5G सर्विस पहुंचाने पर काम हो रहा है।

देश में फिलहाल कुल मोबाइल इंटरनेस सब्सक्राइबर्स की संख्या लगभग 97 करोड़ है। इसके साथ ही शहरों में टेली-डेंसिटी 131.45% और ग्रामीण टेली डेंसिटी 59.06% है। इसके साथ भारत ने तेजी से स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी पर भी काम शुरू कर दिया है।

स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी

5G के बाद अब भारत 6G टेक्नोलॉजी की ओर तेजी से कदम बढ़ रहा है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने B6GA (भारत 6G गठबंधन) की समीक्षा करते हुए बताया कि भारत का लक्ष्य 2023 तक देश को 6G में ग्लोबल लीडर बनाने का लक्ष्य रखा। B6GA मिशन के तहत भारत में 80+ संस्थाएं और 30+ स्टार्टअप जुड़े हैं।

6G विजन डॉक्युमेंट के तहत भारत अभी से स्वदेशी नेटवर्क, ग्रामीण स्मार्ट कनेक्टिविटी और हेल्थ व एग्रीकल्चर में 6G के उपयोग पर  काम कर रहा है। इसके साथ ही हमारा फोकस हाई-स्पीड इंटरनेट और स्मार्ट नेटवर्क के साथ भारत को टेक्नोलॉजी क्रिएटर और ग्लोबल इनोवेशन हब बनाने पर है।

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