टिस्का चोपड़ा हो रही थी कास्टिंग काउच का शिकार लेकिन वो डायरेक्टर….

लंबे वक्त तक बॉलीवुड में काम करने वाली हीरोइन टिस्का चोपड़ा ने इंडस्ट्री में फिल्म के बदले जिस्म से समझौता करने की एक सनसनीखेज कहानी बताई है। टिस्का ने अपने साथ हुए अनुभव को साझा किया है जिसमें डायरेक्टर के उन्हें रात को बुलाने और फिर उसके बाद बंद कमरे में जो हुआ वो पूरा अनुभव साझा किया।

टिस्का चोपड़ा हो रही थी कास्टिंग काउच का शिकार लेकिन वो डायरेक्टर....

टिस्का ने 1993 में बॉलीवुड में शुरूआत की, फिल्म थी अजय देवगन की ‘प्लेटफॉर्म’। इसके बाद से वो लगातार फिल्में कर रही हैं लेकिन कभी भी वो मुख्य अभिनेत्रियों में शामिल नहीं हो सकीं। हमेशा साइड रोल ही उनके मिलते रहे। टिस्का ने एक कार्यक्रम में उस रात की कहानी बताई है जब उन्हें रात को डायरेक्टर ने कमरे में बुलाया। ये टिस्का के करियर का शुरूआती दौर था। क्या हुआ था उस रात टिस्का बताती हैं। ‘मुझे शुरू में सफलता मिली तो लगा कि अब करियर चल निकलेगा लेकिन कुछ ही दिन में मैंने पाया कि मेरे पास कोई काम नहीं हैं, मैं बिल्कुल खाली थी, काम की तलाश में थी कि एक दिन फोन जा दूसरी तरफ एक मशहूर निर्देशक थे’

टिस्का बताती हैं ‘फोन पर मशहूर निर्देशक को पाकर मैं खुश थी, उन्होंने कहा कि तुम खाली हो तो मेरे पास क्यों नहीं आईं? खैर, मैं एक नई फिल्म बना रहा हूं और उसके लिए हीरोइन की तलाश कर रहा हूं क्या तुम काम करोगी? खाली घर बैठे हों और नामी निर्देशक खुद कहे तो मना कौन कर सकता है. मैंने हां कहा तो उन्होंने कहा कल ऑफिस में आकर मिलो’

टिस्का बताती हैं ‘मैं अगले दिन उसके ऑफिस पहुंची तो उसने मुझे देखकर कहा कि हील्स में कैसे चलते हैं यह तुम्हें सीखने की जरुरत है, मुझे लगा कि ठीक है कोई आदमी मुझमें दिलचस्पी दिखा रहा है. इसके बाद मैंने दोस्तों को बताया कि मैं फ्लां निर्देशक के साथ काम कर रही हूं तो सारे दोस्त नाक सिकोड़ने लगे, कहा कि तुम उसके साथ काम कर रही हो। मैंने कहा हां मैं कर रही हूं तो उन्होंने कहा कि तुम जानती हो’

टिस्का ने बताया ‘दोस्तों ने कहा कि उस निर्देशक के साथ काम करना मतलब शूट के दौरान उसके साथ कुछ भी करने को तैयार रहना होगा। मैंने कहा मुझ इस बारे में जानकारी नहीं है। मैं रातभर सोचती रही आखिर मैं फैसला किया जो होगा देखा जाएगा फिल्म तो करनी है लेकिन निर्देशक से कैसे बचूं?’

‘मैंने सोचा की उसकी पत्नी से दोस्ती कर लेती हूं। मुंबई में शूटिंग शुरू हुई, सब ठीक चल रहा था। इसके बाद आउटडोर शूटिंग की बात आई और यहां से निर्देशक के अंदर का शख्स निकलना शुरू हुआ। शूटिंग के तीसरे दिन हमने कुछ अंतरंग सीन किए क्योंकि हीरो नहीं था तो उसने हीरो की शर्ट पहनी और शूटिंग की वो शूटिंग के सहारे मेरे साथ खूब चिपका, बाद में उसने मुझ से कहा शाम को मेरे रूम पर आना साथ में डिनर करेंगे और स्टोरी पर चर्चा करेंगे। मैं समझ रही थी लेकिन मना तो कर नहीं सकती थी, होटल में हमारे कमरे भी एक ही फ्लोर पर थे। मैं सोच रही थी कि क्या करूं?’

‘उस शाम बाकी की सारी क्रू ने बाहर डिनर खाने का प्लान बनाया था, लेकिन मुझे तो निर्देशक से मिलने जाना था। मैंने एक बड़ा सा बुके और ढेर सारी चॉकलेट खरीदी अच्छे से कपड़े तैयार होकर उसके दरवाजे पर पहुंची। मैंने दरवाजा खटखटाया तो पाया कि वो लुंगी पहने हुए बड़े रोमांटिक मूड में बैठे हैं। मैंने उसे चॉकलेट और बुके दिया साथ ही उसके गले लगकर धन्यवाद भी दिया। इससे पहले कि निर्देशक अपना असली रूप दिखात फोन बजा लाइन पर उसका बेटा था। मेरा प्लान काम कर रहा था’

टिस्का आगे कहती हैं, ‘दरअसल, मैंने एक प्लान के तहत होटल स्टॉफ से कहा था कि मेरे रूम के सारे कॉल उस निर्देशक के रूम पर शिफ्ट कर दें। मैंने फोन उठाया तो उसके बेटे ने मुझसे पूछा कि डिनर के लिए बाहर चलना है तो मुझे कितनी देर लगेगी? मैंने उससे कहा कि मैं सर के रूम में हूं और स्टोरी पर चर्चा कर रही हूं। इसके बाद मैंने निर्देशक से पूछा सर, 10 मिनट लगेंगे या 15 मिनट काफी रहेंगे। इसके बाद पांच-छह कॉल और आ गए’

‘जब निर्देशक के बेटे और टीम से कई लोगों के फोन आ गए और सबको मैंने कहा कि मैं निर्देशक के कमरे में हूं तो फिर उसका फितूर उतर गया और मैंने फिल्म पूरी की। मैंने सोच रखा था कि अगर ये प्लान कारगर ना रहा तो फ्लाइट पकड़ कर वापस आ जाना है।’

टिस्का ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि अब हीरोइनों को ज्यादा कास्टिंग काउच का शिकार नहीं होना पड़ता और इसी एक बड़ी वजह ये है कि ज्यादातर कास्टिंग डायरेक्टर गे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button