जीवन में सुख-शांति पाने के लिए प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें

सनातन धर्म में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। महादेव को समर्पित कई पर्व हैं जिनमें प्रदोष व्रत भी शामिल है। इस दिन शिव जी की पूजा संध्याकाल में करने का विधान है और विशेष चीजों का दान किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस दिन भगवान शिव की कृपा कैसे प्राप्त करें।
सनातन धर्म में भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन उत्तम माना जाता है। इस व्रत को हर महीने में दो बार किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सच्चे मन से प्रदोष व्रत करने से जीवन में आने वाले सभी दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही महादेव की कृपा से सभी मुरादे पूरी होती हैं।
अगर आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद शिवलिंग पर विशेष चीज अर्पित करें। इससे जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
मिलेंगे जीवन में शुभ परिणाम
अगर आप जीवन में सुख-शांति पाना चाहते हैं, तो इसके लिए प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद महादेव की पूजा करें। इस दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र जरूर अर्पित करें। शिव जी के मंत्रों का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और शिव जी की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं।
धन की समस्या होगी दूर
अगर आप लंबे समय से धन की कमी सामना कर रहे हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें। प्रभु के नाम का ध्यान करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
बिगड़े काम होंगे पूरे
इसके अलावा इस दिन दूध, दही और शहद से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से परिवार के सदस्यों पर महादेव की कृपा बनी रहती है और बिगड़े काम पूरे होते हैं।
प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
इस बार 5 सितंबर को प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन शुक्रवार होने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत- 5 सतंबर को प्रातः 4 बजकर 8 मिनट पर
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन- 6 सितंबर को प्रातः 3 बजकर 12 मिनट पर
शिव जी के मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते रूद्राय
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्