जिला कलेक्टर ने की विभागीय समन्वय बैठक, बारिश में स्वास्थ्य, सफाई और जलापूर्ति पर विशेष जोर

कलक्टर पीयूष समारिया की अध्यक्षता में विभागीय योजना एवं समन्वय बैठक आयोजित हुई। बारिश के मौसम को देखते हुए उन्होंने स्वास्थ्य, पेयजल, सफाई, बिजली और सड़क जैसी आवश्यक सेवाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। हरियालो राजस्थान अभियान, डेंगू नियंत्रण, खाद्य सामग्री सेम्पलिंग और जलापूर्ति पर भी विशेष निर्देश जारी किए गए।

विभागीय योजना एवं अंतर विभागीय समन्वय बैठक कलक्टर पीयूष समारिया की अध्यक्षता में कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विभागों की प्रगति की समीक्षा करते हुए कलेक्टर समारिया ने बरसाती मौसम में स्वास्थ्य, पेयजल, सफाई, बिजली, सड़क जैसी आवश्यक सेवाओं को प्राथमिकता देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए। कलेक्टर समारिया ने हरियालो राजस्थान अभियान की प्रगति की समीक्षा करते हुए सभी विभागों को चिन्हित स्थलों पर लक्ष्य अनुसार पौधारोपण कर रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए आमजन एवं जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करें।

कलेक्टर ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि बारिश के दौरान मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए डोर टू डोर सर्वे नियमित रूप से कराते रहे। उन्होंने डेंगू के पॉजिटिव केस मिलने पर आसपास के क्षेत्रों में एंटी लार्वा गतिविधियां सघन रूप से करवाने तथा वॉटर सैंपलिंग और उसके परिणामों की निरंतर समीक्षा करने को कहा। आरबीएसके के तहत स्कूलों में की जा रही स्क्रीनिंग और बच्चों के ऑपरेशन संबंधी प्रगति की भी समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए।

वहीं बारिश के मौसम में बैक्टीरिया जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए कलेक्टर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को खाद्य सामग्री से जुड़ी दुकानों, होटल, रेस्तरां, हॉस्टल के मेस और सड़क किनारे लगने वाले फूड स्टॉल्स की खाद्य सामग्री की सेम्पलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोटा में लैब और पर्याप्त फूड इंस्पेक्टर्स उपलब्ध हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि मिलावटी या खराब खाद्य सामग्री बाजार में न पहुंचे और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश
पीएचईडी विभाग को निर्देश देते हुए कलक्टर समारिया ने कहा कि जलापूर्ति व्यवस्था लगातार बनाए रखें। कहीं भी जलापूर्ति बाधित न हो, इसकी सतत मॉनिटरिंग करें। नियमित वॉटर सैंपलिंग कर परिणामों के आधार पर आवश्यक कदम उठाएं और आमजन को जागरूक करें।

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