जानें रामजी ने मुंह दिखाई में माता सीता को क्या दिया था, रामायण के अनुसार..

शादी के दौरान हमारे हिन्दू समाज में कई परम्पराएं निभाई जाती है। जब व्यक्ति का विवाह होता है, तो वह कोई न कोई चीज अपनी पत्नी को उसकी मुंह दिखाई के रूप में उपहार स्वारूप भेंट अवश्य करता है। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में सदियों से चली आ रही है, क्या आप जानते है, की भगवान राम ने भी माता सीता को उनकी मुंह दिखाई में एक उपहार भेंट किया था।
माता सीता को मिले थे ये उपहार:
रामायण के अनुसार माता सीता व भगवान राम की प्रथम भेंट एक वाटिका में हुई थी, उस समय माता सीता, माँ गौरी की पूजा के लिए वाटिका जा रहीं थी तथा भगवान राम उसी वाटिका में अपने गुरु विश्वामित्र के लिए फूल लेने गए थे, तब दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा था। 
भगवान राम को पहली बार देखते ही माता सीता ने उन्हें अपना पति मान लिया था व पति रूप में उन्हें प्राप्त करने के लिए माँ गौरी से प्रार्थना करती रहीं।

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कुछ समय पश्चात माता सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया जाता है, जिसमे भगवान राम भी अपने गुरु विश्वामित्र के आदेश से उपस्थित होते है, व शिव धनुष को तोड़कर माता सीता को पत्नी के रूप में प्राप्त करते है।
विवाह के बाद जब पहली बार माता सीता की मुंह दिखाई की रस्म का आयोजन किया जाता है, तो इस रस्म के दौरान भगवान राम के द्वारा माता सीता को उपहार के रूप में एक वचन दिया जाता है, की वह आजीवन एक पत्नी व्रत का पालन करेंगे उनके जीवन में पत्नी रूप में माता सीता के अलावा दूसरी कोई भी स्त्री कभी भी नहीं आएगी। 
भगवान राम के इस वचन को सुनकर माता सीता को बहुत प्रसन्नता हुई। लेकिन अपनी मर्यादाओं का पालन करने के लिए माता सीता का उन्होंने त्याग कर दिया था। इसी वजह से उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है।

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