जानें- नए नोट के दलालों के पीछे सरकार की तीसरी आंख कैसे कर रही है काम

नोटबंदी का आज 36वां दिन है. जिस दिन से नोटबंदी लागू हुई है उस दिन से ऐसा शायद ही कोई दिन बचा हो, जिस दिन नए नोटों की खेप न पकड़ी गई हो. जैसे-जैसे पुराने नोट बदलने की सीमा खत्म हो रही है. 2 हजार रुपये के नए नोट की बड़ी खेप बरामद होने की संख्या बढ़ती जा रही है. नए नोट के दलालों के पीछे मोदी सरकार की तीसरी आंख लग गई है.

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पिछले 24 घंटे में पकड़े गए नए नोट इस बात का सबूत हैं कि काले धन के खिलाड़ी न कानून से डर रहे हैं, न सरकार के चाबुक से. नोटों के दलालों के दुस्साहस के कारण ही नोट की किल्लत का हल ढूंढने में लगी सरकार के सामने दलालों से निपटना पहली चुनौती बन गया है.

  •  नोट के दलाल ही हैं जिनके कारण आप लगे हैं लाइन में और खाली पड़े हैं एटीएम.
  • मोदी सरकार ने नोटों के दलालों को धर दबोचने के लिए अपना पूरा नेटवर्क झोंक दिया है.
  • आखिर जानिए कैसे सरकार ने नोटों के दलालों के खिलाफ छेड़ दी है सबसे बड़ी जंग.

नोटों के दलालों को अब सिर्फ पुलिस वालों या इनकम टैक्स से ही डरना नहीं होगा. नोटों के दलालों के खिलाफ मोदी की फौज मैदान में उतर चुकी है.

मोदी सरकार ने नए सिरे से काले धन वालों को दबोचने का मास्टर प्लान बनाया है. जो जिस भाषा को समझेगा उसको उसी भाषा में समझाकर रास्ते पर लाएगी सरकार. बेंगलुरू में ईडी अफसरों का ग्राहक बनकर दलालों तक जाना और रंगे हाथों पकड़ना इसकी शुरूआत मान सकते हैं.

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट का काम है देशभर में होने वाले संदिग्ध आर्थिक लेन-देन पर पैनी नजर रखना. FIU के नेतृत्व में आठ और एजेंसियों ने कमर कस ली है.

 

FIU की टीम में रेवेन्यू इंटेलिजेंस, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, प्रवर्तन निदेशालय, ईडी, इंटेलिजेंस ब्यूरो,  आईबी, खुफिया एजेंसी रॉ, सीबीआई, नेशनल इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी और एयर इंटेलिजेंस यूनिट शामिल है.

नोटों के दलालों के खिलाफ छेड़ी गई जंग पर नजर रखने के लिए तैयार किया गया है 24 घंटे सातों दिन काम करने वाला एक कंट्रोल रूम. कंट्रोल रूम से हर संदिग्ध लेन-देन पर नजर रखी जा रही है और इसमें मददगार साबित हो रही है डिजिटल तकनीक. FIU के हेडक्वार्टर में नोटबंदी से ठीक पहले एक सॉफ्टवेयर अपग्रेड किया गया है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से देश के किसी भी हिस्से में होने वाले ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की जानकारी रियलटाइम बेसिस पर मिलती है और अगर लेन-देन संदिग्ध है तो तुरंत अलर्ट मिल जाता है. अलर्ट मिलने पर संबंधित एजेंसी को भेज दिया जाता है.

एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद से FIU को रोजाना 3 हजार ऐसे अलर्ट मिल रहे हैं. अलर्ट मिलने के बाद इनकम टैक्स, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की टास्क फोर्स सूचना के आधार पर सीधे एक्शन ले रही है. जिसका नतीजा दिल्ली से लेकर बेंगलुरू तक दिख रहा है.

सरकार का एक और चेक प्वाइंट है बैंक अधिकारियों के सामने रखा वो मॉनिटर जिस पर बैंक अफसर काम करते हैं. बैंकों में भी ऐसे सॉफ्टवेयर लगाए गए हैं, जिनसे RTGS, NEFT के जरिए फंड ट्रांसफर पर निगरानी रखी जाती है. किसी भी खाते में दस लाख रुपये से ज्यादा के जमा और निकासी पर तुरंत अलर्ट जाता है.

पहले ब्रांच के सीनियर अधिकारी को अलर्ट जाता है, फिर वो हेड ऑफिस को जानकारी देगा. उस वक्त जो अधिकारी ड्यूटी पर होता है उसका नाम भी जानकारी में जाता है. इन सब तरीकों के अलावा कस्टमर आइडेंटिटी मैनेजमेंट सिस्टम जैसे बैंकों के अंदर लगे CCTV से भी ऐसे ग्राहकों पर नजर रखी जा रही है, जो बैंकों में अपना काला धन सफेद करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.

 

जिन नोटों को आपके नजदीक की एटीएम तक पहुंचना था लेकिन वो नोटों के दलाल तक पहुंच जा रही है. तो हम बता दें कि सरकार ने इस पर भी तीसरी आंख का पहरा बिठा रखा है. दरअसल नोटों के डिजिटल ट्रेल पर बारीकी से नजर रखी जा रही है. सभी बैंक को सख्त निर्देश है कि हर रोज का बैलेंस रिपोर्ट, बैलेंस स्टेटस, कैश लेन देन की रिपोर्ट, संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट दें.

एक नोट के आरबीआई के प्रेस से निकलने से लेकर उसके बैंक अकाउंट में जमा होने की जानकारी का आंकड़ा भी जुटाया जा रहा है. इसके अलावा जनधन खाते की रिपोर्ट और जीरो बैलेंस खाते की रिपोर्ट भी सौंपने का निर्देश है. इतना ही नहीं रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को आदेश दिया है कि बैंक शाखाओं और करेंसी चेस्ट की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को अगले आदेश तक संभाल कर रखा जाए.

नोटों के दलाल जब काम पर थे तब सरकार भी एक्शन में थी. सरकार के पास 400 ऐसी सीडी पहुंच चुकी है जिसमें काले धन को सफेद और सफेद धन को काला करने का खेल खेला जा रहा था. जो पकड़े गए वो तो गए लेकिन जो अब तक पकड़े नहीं गए हैं वो बचेंगे नहीं.

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