जानें दूल्हे को क्यों बैठाते है घोड़ी पर, जरुर जानें ये बड़ा राज
जब श्रीराम के गले में वरमाला डालने सीता जा रही थी तो वहां मौजूद सभी विरोधी राजाओं ने अपनी-अपनी तलवार निकाल ली थी और श्रीराम से युद्ध करने की तैयारी कर ली थी। परंतु परशुराम के आने के बाद सभी को ज्ञात हो गया कि श्रीराम से युद्ध साक्षात् मृत्यु से युद्ध होगा और वहां युद्ध टल गया। वहीं श्रीकृष्ण और रुकमणि के विवाह के समय भी युद्ध हुआ था। ऐसे कई प्रसंग हैं।
इन्हीं कारणों से दूल्हे को घोड़े पर बैठाने की परंपरा शुरू की गई। वैसे उस समय हाथी की सवारी भी चलन में थी परंतु घोड़ा वीरता और शौर्य का प्रतिक माना जाता है और युद्ध के मैदान में घोड़े की ही अहम भूमिका होती है। दूल्हे का रूप भी किसी रणवीर के समान रहता है उसकी भी यही वजह है। आधुनिक युग में जब स्वयंवर और लड़ाइयों से जैसी परंपरा बंद हो गई तब दूल्हे को बतौर शगुन घोड़ी पर बैठाना शुरू कर दिया।