जानें क्यों अघोरी साधु खाते है मुर्दों का मांस, राज जानकर हो जाओगे पागल

कुंभ मे बाबाओं की लाइन लगी रहती है लेकिन अघोरी बाबा कुंभ के मेले मे नजर नहीं आते हैं। जी हाँ, नागा साधु कुंभ के दौरान भारी तादाद में आते हैं लेकिन इस कुंभ के मेले में नागा साधुओं को आपने अखाड़ों में ही देखा गया है। आप सभी को बता दें कि कई सारे लोग इन नागा साधुओं से मिलने आते हैं और इनके दर्शन करते हैं और इनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसे मे अगर कोई अपनी समस्या इनके पास लाता है तो वह उसका हल पाता है।

आप सभी को बता दें कि ज्यादातर लोग नागा साधु और अघोरी साधु को एक ही समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों मे बहुत अंतर् होता है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं। जी दरअसल दोनों की वेशभूष से लेकर इनके तप करने के तरीके, रहन-सहन, साधना और इनकी साधु बनने की प्रक्रिया में बही काफी अंतर देखा जा सकता हैं। आप सभी को बता दे कि दोनों साधारण साधुओं की तुलना में अलग दिखते हैं और भयावह रूप लोगों को दुविधा में ला देखता हैं यही एक खास वजह कि लोग नागा और अघिरोयों को एक समझ लेते हैं। आप सभी को बता दें कि नागा और अघोरी साधु दोनो को ही साधु बनने के लिए बहुत कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता हैं और दोनों साधुओं की परीक्षा को 12 साल का वक्त लगता हैं।

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इसी के साथ नागा साधु बनने के लिए नागा आखाड़ों में परीक्षाएं ली जाती हैं, लेकिन अघोरी बनने के लिए श्मशान में तपस्या करनी पड़ती हैं। कहा जाता है नागा बनने के लिए सबसे पहले एक गुरु का निर्धारित करना पड़ता हैं और यह गुरु नागा अखाड़े का कोई भी बड़ा विद्वान बन सकता है। नागा साधुओं और अघोरी बाबाओं मे बहुत अंतर् है।

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