जानिए नवरात्रि के 7वें दिन कालरात्रि के मंत्र का करें जाप
नवरात्रि हिंदुओं का पावन त्यौहार माना जाता है और इस त्यौहार पर माँ के हर रूप का पूजन अलग अलग दिन किया जाता है. ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं माता के 7वे स्वरूप की जिसका पूजन नवरात्रि के सांतवे दिन होगा. ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करते हैं और मां कालरात्रि माता दुर्गा का क्रोधित यानि गुस्से वाला स्वरुप है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ कालरात्रि के स्वरूप और उनके दिन के महत्व और उनके मंत्र के बारे में.
जब कालरात्रि सांस लेती या छोड़ती है तो आग की ज्वाला निकलती है- ज्योतिष के मुताबिक जब मां कालरात्रि अपने नाक से सांस लेती है या छोड़ती है तो आग की भयंकर लपटें निकलती दिखाई देती है. इसी के साथ मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इस देवी के दाएं हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है जो ये इंगित करता है कि मां सभी को आशीर्वाद दे रही है. इसी के साथ मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है और उनका बाएं हाथ में लोहे से बना एक कांटे जैसा अस्त्र है और निचले बाएं हाथ में कटार है. इसी के साथ जो लोग व्यापार वृद्धि चाहते हैं वह यन्त्र (सोने में जडा हुआ) ख़रीदे और मां के आशीर्वाद हांसिल कर लें.
नवरात्रि सप्तमी का है बड़ा महत्व – नवरात्रि की सप्तमी को महासप्तमी भी कहा जाता है और तांत्रिक लोग इस दिन विशेष पूजा करके मां की कृपा प्राप्त करते हैं. इसी के साथ सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती है, लेकिन रात में पूजा का विशेष विधान है. कहा जाता है सप्तमी की रात्रि सिद्धियों की रात भी कही जाती है. और दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी जरूर करनी चाहिए.
देवी कालरात्रि के मंत्र –
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..