जानिए अभी कहा है 22 जुलाई को चांद के लिए निकला चंद्रयान-2, क्‍या कर रहा है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 जुलाई को भारत के मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्‍च किया है. इस मिशन के तहत विक्रम नाम लैंडर और प्रज्ञान नामक रोवर चांद की सतह पर उतरेंगे और वहां विभिन्‍न शोध करेंगे. 22 जुलाई को 20 घंटे के काउंटडाउन के बाद इसरो ने जीएसएलवी एमके3 रॉकेट के जरिये चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया. प्रक्षेपण के 16 मिनट 14 सेकंड के बाद इसे पृथ्‍वी की कक्षा पर स्‍थापित कर दिया गया था.

पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दूसरे मन की बात कार्यक्रम में रविवार को चंद्रयान-2 मिशन का जिक्र किया. उन्‍होंने कहा मुझे सितंबर का बेसब्री से इंतजार है, जब लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद पर उतरेंगे.लेकिन क्‍या आपको पता है कि चंद्रयान-2 इस वक्‍त कहां है? क्‍या कर रहा है? वो चांद पर कब जाएगा? नहीं, तो हम आपको बता रहें हैं सबकुछ…

22 जुलाई को लॉन्‍च हुआ था चंद्रयान-2 मिशन

जम्मू-कश्मीर पर बड़े आतंकी हमले का खतरा, NSA डोभाल ने की अफसरों के साथ बैठक

इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई को लॉन्‍च किया था. इसे इसरो के ‘बाहुबली’ रॉकेट कहे जाने वाले जीएसएलवी एमके3 से अंतरिक्ष में भेजा गया. लॉन्‍चिंग के 16 मिनट 14 सेकंड के बाद रॉकेट से यान अलग होकर पृथ्‍वी की कक्षा पर स्‍थापित हो गया था.

यहां है चंद्रयान-2

लॉन्चिंग के बाद राकेट से अलग होकर चंद्रयान-2 पृथ्‍वी की कक्षा पर स्‍थापित हो गया है. चंद्रयान-2 इस वक्‍त पृथ्‍वी का चक्‍कर काट रहा है. दरअसल चंद्रयान-2 खुद को पृथ्‍वी का चक्‍कर काटते हुए चांद की कक्षा में प्रवेश करने की तैयारी कर रहा है. यह यान इस वक्‍त बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेंट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के वैज्ञानिकों के नियंत्रण में है. वैज्ञानिक इस चंद्रयान-2 को पृथ्‍वी की कक्षा से चांद पर भेजने के लिए तैयार कर रहे हैं. 

चांद पर जाने के लिए अंतरिक्ष यान को लगाने पड़ते हैं पृथ्‍वी के चक्‍कर

किसी भी अंतरिक्ष यान को दूसरे ग्रह या तारे पर जाने के लिए पृथ्‍वी की कक्षा पर कई दिनों तक मौजूद रहना पड़ता है. इस दौरान अंतरिक्ष यान पृथ्‍वी की परिक्रमा करता है. चंद्रयान-2 भी यही कर रहा है. चंद्रयान-2 पृथ्‍वी की कक्षा में परिक्रमा लगाते हुए वहां अपना स्‍थान बदलेगा. चंद्रयान-2 के अंदर मौजूद प्रोपल्‍शन सिस्‍टम के जरिये ऐसा हो रहा है.

चंद्रयान-2 पृथ्‍वी का चक्‍कर काटते हुए कुछ दिनों में लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्‍टरी में स्‍थापित होगा. लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्‍टरी अंतरिक्ष का वह रास्‍ता होता है, जिसके जरिये अंतरिक्ष यान चांद की कक्षा की ओर प्रवेश करता है. लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्‍टरी में स्‍थापित होने के बाद चंद्रयान-2 चांद की ओर जाने के लिए आगे बढ़ जाएगा. इसरो के अनुसार मिशन चंद्रयान-2 के तहत लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान 7 सितंबर, 2019 को चांद पर उतरेंगे.

दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा यान

यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन है. चंद्रयान-2 मिशन के तहत शोध यान चांद के उस हिस्‍से में उतरेगा जिसपर अभी तक कम ही शोध हुआ है. वैज्ञानिकों के अनुसार इस दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्‍पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्‍तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है.

दक्षिणी ध्रुव के हिस्‍से में सोलर सिस्‍टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्‍म होने के मौजूद होने  की संभावनाएं हैं. चंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्‍वों के बारे में भी पता चलेगा. इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर जल मिले.

3.8 टन वजनी है चंद्रयान-2

भारत की ओर से चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है. इस चंद्रयान-2 त‍हत एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर भी चांद पर जा रहे हैं. इनका नाम चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर है. चंद्रयान-2 को इसरो 22 जुलाई को लॉन्‍च करेगा. लेकिन चांद की सतह पर लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को लैंड करेगा.

कुछ ऐसा है चंद्रयान-2 ऑर्बिटर

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है. यह 3.2*5.8*2.1 मीटर बड़ा है. इसकी मिशन लाइफ 1 साल की है. पूरे चंद्रयान-2 मिशन में यही ऑर्बिटर अहम भूमिका निभाएगा. इसी के जरिये चांद की सतह पर उतरने वाले विक्रम लैंडर और धरती पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों के बीच संपर्क हो पाएगा. यह चांद की कक्षा पर मौजूद रहेगा. यह चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से मिली जानकारियों को धरती पर वैज्ञानिकों के पास भेजेगा.

8 उपकरणों से शोध करेगा ऑर्बिटर

1. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के पास चांद की कक्षा से चांद पर शोध करने के लिए 8 उपकरण रहेंगे. इनमें चांद का डिजिटल मॉडल तैयार करने के लिए टेरेन मैपिंग कैमरा-2 है. 

2. चांद की सतह पर मौजूद तत्‍वों की जांच के लिए इसमें चंद्रययान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्‍स-रे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर (क्‍लास) है.

3. क्‍लास को सोलर एक्‍स-रे स्‍पेक्‍ट्रम इनपुट मुहैया कराने के लिए सोलर एक्‍स-रे मॉनीटर है.

4. चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाने और वहां मौजूद मिनरल्‍स पर शोध के लिए इसमें इमेजिंग आईआर स्‍पेक्‍ट्रोमीटर है. 

5. चांद के ध्रुवों की मैपिंग करने और सतह व सतह के नीचे जमी बर्फ का पता लगाने के लिए इसमें डुअल फ्रीक्‍वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार है.

6. चांद की ऊपरी सतह पर शोध के लिए इसमें चंद्र एटमॉसफेयरिक कंपोजिशन एक्‍सप्‍लोरर-2 है.

7. ऑर्बिटर हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरा के जरिये यह हाई रेस्‍टोपोग्राफी मैपिंग की जाएगी.

8. चांद के वातावरण की निचली परत की जांच करने के‍ लिए डुअल फ्रीक्‍वेंसी रेडियो उपकरण है.

चांद पर 2 बड़े गड्ढों के बीच उतरेगा विक्रम
चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान उतरेंगे. लैंडर विक्रम का वजन 1,471 किलोग्राम है. इसका नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर हुआ है. इसे 650 वॉट की ऊर्जा से ताकत मिलेगी. यह 2.54*2*1.2 मीटर लंबा है. चांद पर उतरने के दौरान यह चांद के 1 दिन लगातार काम करेगा. चांद का 1 दिन पृथ्‍वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यह चांद के दो बड़े गड्ढों मैजिनस सी और सिंपेलियस एन के बीच उतरेगा.

विक्रम के पास रहेंगे 4 इंस्‍ट्रूमेंट :
लैंडर विक्रम के साथ तीन अहम इंस्‍ट्रूमेंट चांद पर शोध के लिए भेजे जाएंगे. चांद पर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों को मापने और उसपर शोध करने के लिए एक खास इंस्‍ट्रूमेंट लगाया गया है. इसके अलावा इसमें चांद पर बदलने वाले तापमान की बारीक जांच करने के लिए भी खास उपकरण है. इसमें तीसरा उपकरण है लैंगमूर प्रोब. यह चांद के वातावरण की ऊपरी परत और चांद की सतह पर शोध करेगा. विक्रम अपने चौथे उपकरण लेजर रेट्रोरिफ्लेक्‍टर के जरिये वहां मैपिंग और दूरी संबंधी शोध करेगा.

6 टायरों वाला प्रज्ञान रोवर भी है खास
चंद्रयान-2 के तहत चांद पर उतरने वाले लैंडर विक्रम के साथ ही वहां प्रज्ञान रोवर भी उतरेगा. प्रज्ञान रोवर एक तरह का रोबोटिक यान है. जो चांद की सतह पर चलकर वहां शोध करेगा. इसका वजन 27 किलोग्राम है. यह 0.9*0.75*0.85 मीटर बड़ा है. इसमें छह टायर लगे हैं जो चांद की उबड़खाबड़ सतह पर आराम से चलकर विभिन्‍न शोध कर सकेंगे. यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड कर रफ्तार से सफर कर सकता है. यह अपनी ऊर्जा सूर्य से प्राप्‍त करेगा. साथ ही यह लैंडर विक्रम से संपर्क में रहेगा.

2 विशेष उपकरण हैं प्रज्ञान के पास
रोबोटिक शोध यान (रोवर) प्रज्ञान के पास दो विशेष उपकरण रहेंगे. रोवर प्रज्ञान अल्‍फा पार्टिकल एक्‍स-रे स्‍पेक्‍टोमीटर के जरिये लैंडिंग साइट के पास में चांद की सतह पर मौजूद वातावरणीय तत्‍वों के निर्माण संबंधी जानकारी प्राप्‍त करने के लिए शोध करेगा. इसके अलावा लेजर इंड्यूस्‍ड ब्रेकडाउन स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोप के जरिये भी प्रज्ञान सतह पर मौजूद तत्‍वों पर शोध करेगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button