जाति जनगणना से बदल जाएंगे जम्मू-कश्मीर में जातीय समीकरण

जम्मू-कश्मीर में जाति जनगणना से जातीय समीकरण बदल जाएंगे। सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आबादी का दावा है। नए सिरे से जाति जनगणना से लगभग सभी आंकड़े बदल जाएंगे।

जम्मू कश्मीर में जाति जनगणना करवाने पर जातीय समीकरण बदल जाएंगे। प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), पिछड़े क्षेत्रों के निवासी (आरबीए), वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), दिव्यांग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आदि श्रेणी में आरक्षण का प्रावधान है। लेकिन नए सिरे से जाति जनगणना से लगभग सभी आंकड़े बदल जाएंगे।

साल 2011 के बाद कोई नई जनगणना नहीं हो सकी है। अगर केंद्र सरकार जाति जनगणना जल्द करवा लेती है तो इसका प्रदेश के आगामी पंचायत, स्थानीय निकाय चुनाव और नगरोटा व बड़गाम उपचुनाव पर प्रभाव दिखेगा।

पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उपराज्यपाल प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर उन्हें एसटी-2 में रखा था। गुज्जर-बकरवाल को पहले ही दस फीसदी आरक्षण मिलता है। इससे अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान हो गया।

ओबीसी के आरक्षण को भी दोगुना करते हुए आठ प्रतिशत कर दिया गया। आरक्षण में वृद्धि पर विवाद जारी है। यह मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है। आरोप है कि इससे सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी घट गई और आरक्षित श्रेणी का आरक्षण हारिजेंटल और वर्टिकल 70 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि यह 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसको लेकर नेकां सांसद रुहुल्ला मेहदी लगातार आवाज उठाते रहे हैं।

सरकार ने मौजूद आरक्षण नीति में संशोधन के लिए एक उपसमिति भी बनाई है। दावा है कि प्रदेश की कुल आबादी में से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की 52 प्रतिशत आबादी है, लेकिन उन्हें सिर्फ 8 प्रतिशत ही आरक्षण दिया जा रहा है। एससी को 8 प्रतिशत, एसटी एक और एसटी दो को 10-10 प्रतिशत, ओबीसी को आठ प्रतिशत, आरबीए को 10 प्रतिशत, एलएसी को 3 प्रतिशत, दिव्यांग को 3 प्रतिशत, ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत सहित अन्य श्रेणियों में आरक्षण का प्रावधान है। इनमें आरबीए, एलएसी जैसी श्रेणियों में जम्मू कश्मीर को छोड़कर देश के अन्य दूसरे राज्यों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।

पंचायत चुनाव के लिए सौंपी है रिपोर्ट
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जनक राज कोतवाल की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय ओबीसी आयोग ने ओबीसी आरक्षण की सिफारिशों की रिपोर्ट को गत मार्च में सरकार को सौंप दिया था। आरक्षण पर फैसला होने के बाद ही पंचायत चुनाव संभव होंगे। पंचायत और ब्लाक विकास परिषदों का पांच साल का कार्यकाल 9 जनवरी 2024 को पूरा हो चुका है। नगर पालिकाओं का कार्यकाल अक्तूबर-नवंबर 2023 में समाप्त हुआ था। प्रदेश की कुल आबादी में से 70 लाख से अधिक पंचायत मतदाता हैं।

आर्थिक जनगणना भी हो
आल जेएंडके पंचायत कान्फ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा कहते हैं कि जाति जनगणना के साथ आर्थिक जनगणना, बेरोजगारी आदि होनी चाहिए। इससे साफ होगा देश में जम्मू कश्मीर कहां खड़ा है। प्रदेश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी पंचायत स्तर पर है, जिससे जाति जनगणना से अधिक प्रभाव रहेगा। जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव लंबित हैं। वर्ष 2017-18 में जनगणना 2011 के आधार पर पंचायतों का परिसीमन किया गया था, जिसमें करीब 400 पंचायतों का विस्तार हुआ था। लेकिन उसके बाद कोई जनगणना नहीं हुई है। पंचायती राज अधिनियम में नई जनगणना के आधार पर परिसीमन करवाने का प्रावधान है। 2010 में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार करने को कहा था, जिसमें मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था। इसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की थी।

हमारा संघर्ष रंग लाया : कलसोत्रा
आल इंडिया कन्फेडरेशन आफ एससी, एसटी, ओबीसी आर्गनाइजेशन के प्रदेश प्रधान आरके कलसोत्रा कहते हैं कि हम लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रहे थे। हमने इस मुद्दे पर गत दिसंबर में संसद पर घेराव किया था। मंडल आयोग की रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर में 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की है और इसके लिए 27 प्रतिशत आरक्षित निर्धारित किया गया था। लेकिन जम्मू कश्मीर में ओबीसी समाज को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाया है।

इसके विपरीत 15 और जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल कर दिया गया। जाति जनगणना से साफ हो जाएगा कि किस क्षेत्र में कौन सी जाति के लोग हैं, जिससे आरक्षण वर्ग पर भी स्थिति साफ हो जाएगी। हम चाहते हैं जिस जाति का जो हक है उसे सम्मानपूर्वक दिया जाए। ओबीसी महासभा के अध्यक्ष बंसी लाल चौधरी कहते हैं कि देश के साथ जल्द जम्मू कश्मीर में जाति जनगणना होनी चाहिए। सभी जातियों पर स्पष्ट होने से कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर कार्यान्वयन किया जाएगा।

केंद्र का फैसला सराहनीय: भाजपा
मोदी सरकार की देश में जाति जनगणना करवाने का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सत शर्मा का कहना है कि मोदी सरकार लिया गया यह फैसला सराहनीय है। इससे सबको अपना हक मिलेगा।

राहुल गांधी ने संघर्ष किया: कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा का कहना है कि जाति जनगणना के लिए राहुल गांधी ने ही पहल करके संघर्ष शुरू किया था। हमारे सभी पीसीसी में इसकी चर्चा की गई। जितनी आबादी होगी, उतना सबको हक मिलेगा।

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