जाट और दलित बहुल जिलों में हुआ अधिक मतदान, पढ़े पूरी खबर

Haryana Assembly Election 2019 Voting में पिछले बार से कम मतदाता बूथों पर पहुंचे। लोकतंत्र का उत्सव तो पूरे उत्साह के साथ मना, लेकिन मतदान का प्रतिशत उम्मीद से कम रह गया। पिछले विधानसभा चुनाव में 76.20 फीसदी मतदान हुआ था, लेकिन बार 68.30 प्रतिशत वाेटिंग ही हुई। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार मतदान प्रतिशत के आंकड़े में कुछ बढ़ोतरी होगी। मतदान में सबसे खास बात यह रही कि जाट और दलित बहुल जिलों में मतदान ज्यादा हुआ।
उद्योग-धंधों की अधिकता वाले जिलों में लोगों ने नहीं दिखाई मतदान में खास रुचि
राज्य सबसे ज्यादा वोटिंग जाट और दलित बहुल जिलों में होने के महत्वपूर्ण सियासी संकेत भी हाे सकता है। रोहतक में 69.54 फीसदी और झज्जर में 65.37 फीसदी, भिवानी में 70.36 फीसदी, सिरसा में 75.30, फतेहाबाद में 74.49, जींद में 73.56, सोनीपत में 66.35 और कैथल जिले में मतदान का प्रतिशत सबसे अधिक 75.43 फीसद रहा।
यही स्थित दलित बहुल इलाकों में रही, जहां मतदान का प्रतिशत उम्मीद से कहीं अधिक रहा है। अंबाला जिले में 66.85 फीसदी और यमुनानगर जिले में 74.17 फीसदी वोट पड़े। यह दोनों जिले सुरक्षित अंबाला संसदीय क्षेत्र का पार्ट हैं। सिरसा संसदीय क्षेत्र हालांकि सुरक्षित है, लेकिन अकेले जाट बहुल सिरसा जिले को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी संसदीय क्षेत्र में दलित आबादी ज्यादा है। यहां भी वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
हरियाणा के औद्योगिक शहरों में शुमार करनाल में 63.83 फीसदी, पानीपत में 66.91 फीसदी, गुरुग्राम में 59.54 फीसदी, फारीदाबाद में 57.02 फीसद और पंचकूला में 65.72 फीसदी मतदान हुआ। हरियाणा की मौलिक आबादी वाले शहर अथवा जिले मतदान में काफी आगे रहे हैं, जबकि मिश्रित आबादी वाले अथवा प्रवासियों की अधिकता वाले जिलों में मतदान का प्रतिशत कम रहा है।
राज्य के औद्योगिक जिलों में अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के होते हैं। उन्होंने इस बार वोटिंग में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके साथ ही शहरी इलाकों में भी लोगों ने अपने घरों से निकलने में हिचक ही की।