जम्मू-कश्मीर में मुसीबत बन सकती हैं ग्लेशियरों से बनी झीलें

जम्मू-कश्मीर में 69 ग्लेशियर निर्मित झीलों को असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिनसे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है। सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी बनाई है जो झीलों की निगरानी कर सुरक्षा उपाय सुझा रही है।

उत्तराखंड की तरह जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों में ग्लेशियरों से बनी झीलें मुसीबत बन सकती हैं। सरकार की तरफ से गठित मॉनिटरिंग कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर और अपर इंडस क्षेत्र में कुल 69 ऐसी झीलें हैं जिन्हें असुरक्षित की श्रेणी में रखा गया है। इनमें नौ झीलें जम्मू और 20 कश्मीर संभाग में हैं।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली में आई तबाही के पीछे पहले वजह बादल फटना मानी जा रही थी, लेकिन बाद में ग्लेशियर से बर्फ टूटकर गिरने से आई बाढ़, बारिश और भूस्खलन एक साथ हो जाने को इसकी मूल वजह बताया गया। इससे नक्शे से धराली का नामो निशान मिट गया।

विशेषज्ञाें की मानें तो इस तरह की तबाही जम्मू-कश्मीर में भी आ सकती है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। प्रदेश में झीलों की मॉनिटरिंग कर रही फोकस्ड ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्ल्ड (एफजीएलओएफ) मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य और जम्मू विश्वविद्यालय के रिमोट सेंसिंग विभागाध्यक्ष प्रो. अवतार सिंह जसरोटिया के अनुसार उत्तराखंड में आई तबाही को लेकर जम्मू-कश्मीर में भी अध्ययन किया जा रहा है। उनके अनुसार प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में असुरक्षित बनी झीलों का डाटा तैयार किया गया है।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में ग्लेशियर से बनी झीलों की निगरानी के लिए सरकार ने बीते साल प्रमुख सचिव गृह की अगुवाई में फोकस्ड ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्ल्ड (एफजीएलओएफ) मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया था। इसका काम ग्लेशियरों और इससे बनने वाली झीलों की स्थिति की समीक्षा करना और उनसे जुड़े खतरे को कम करने के लिए उपाय सुझाना था।

जिला असुरक्षित झीलों की संख्या नाम
किश्तवाड़ 04 मुंदिकसर, हंगू, पतला पानी और एक अनाम झील

राजोरी 04 हांडूसर, भगसर, नंदनसर, कदासरपुंछ 01 अनाम झील

गांदरबल 10 लालगुल सार, गंगबल झील, गाद सार, कृष्णसार, विशन सार, रॉयल सर, यमसार, डोडसार, सोरस और एक अनाम झीलअनंतनाग 06 शेषनाग, मरसार, टरसार, सोरासर, बोडसार, सोनसार

बड़गाम 02 पमसार, बंदसारकुलगाम 01 कौसरनाग

बांदीपोरा 01 अनाम झील

17 पैरामीटर्स पर करते हैं असुरक्षित घोषित
झीलों के आकार, द्रव्यमान, तापमान, लोकेशन, मूवमेंट जोन जैसे कुल 17 पैरामीटर्स के आधार पर किसी भी झील को असुरक्षित घोषित किया जाता है। कई बार ग्लेशियर टूटकर झील में गिरते हैं। इससे आकार में बढ़ोतरी हो जाती है। ऐसे में अगर लगातार बारिश रहे तो फ्लैश फ्लड का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

अमरनाथ यात्रा का अहम पड़ाव है शेषनाग
प्रदेश में हर साल अमरनाथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। अनंतनाग जिले में स्थित शेषनाग अमरनाथ यात्रा का अहम पड़ाव है। शेषनाग झील को भी असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में झील को लेकर खतरा और बढ़ जाता है।

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