जम्मू-कश्मीर: उर्दू की अनिवार्यता के खिलाफ भाजपा के विधायकों का प्रदर्शन

नायब तहसीलदार भर्ती में उर्दू को अनिवार्य किए जाने के विरोध में भाजपा के सभी विधायकों ने सिविल सचिवालय के बाहर दो घंटे का धरना दिया। भाजपा ने इसे जम्मू के युवाओं के साथ अन्याय और क्षेत्रीय भेदभाव बताते हुए सड़क से सदन तक आंदोलन की चेतावनी दी है।

नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू भाषा को अनिवार्य किए जाने के विरोध में भाजपा के सभी विधायकों ने सोमवार को सिविल सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। विधायकों ने दो घंटे तक धरना दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विधायकों ने प्रदेश सरकार के आदेश को जम्मू के युवाओं के साथ खुला अन्याय और क्षेत्रीय भेदभाव करार दिया। प्रदर्शन का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने किया।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह केवल भाषा का मामला नहीं है, यह अधिकार, अवसर और समान व्यवहार का सवाल है। जम्मू-कश्मीर में उर्दू एक आधिकारिक भाषा है, लेकिन एकमात्र नहीं। जब संविधान में कई भाषाओं को मान्यता है, तो सिर्फ उर्दू को अनिवार्य क्यों बनाया गया।

उन्होंने बताया कि बीजेपी इस फैसले को लेकर पहले ही लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके आजमा चुकी है। हमने उपराज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई, ज्ञापन सौंपे और प्रतिनिधिमंडल मिलवाए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

एलजी ने माना कि यह मामला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर बहरी बनी रही तो भाजपा सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।धरने के दौरान विधायक हाथों में तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।

भाजपा नेता युद्धवीर सेठी, अरविंद गुप्ता और आरएस पठानिया समेत अन्य विधायकों ने भी इस आदेश को तानाशाही करार दिया और कहा कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। इस दौरान भाजपा के सभी विधायक मौजूद रहे।

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