जम्मू-कश्मीर: आतंक प्रभावित परिवारों के लिए डिजिटल राहत की पहल…

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंक प्रभावित परिवारों के लिए एक समर्पित वेब पोर्टल लॉन्च किया, जिससे राहत, अनुकंपा नियुक्ति और अन्य सहायता प्रक्रियाएं तेज और पारदर्शी होंगी।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित परिवारों को सरकारी सहायता और राहत प्रदान करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज बनाने के उद्देश्य से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज एक समर्पित वेब पोर्टल लॉन्च किया।
यह पोर्टल गृह विभाग द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सहयोग से विकसित किया गया है और यह केंद्रित मंच के रूप में कार्य करेगा, जहां आतंक प्रभावित परिवारों का जिला-वार विस्तृत डेटा संग्रहित और प्रबंधित किया जाएगा। इसमें पीड़ितों या उनके निकटतम परिजनों की संपत्ति पर हुए अतिक्रमण की जानकारी भी दर्ज की जाएगी।
उपराज्यपाल ने कहा यह पहल आतंकवाद से पीड़ित परिवारों को राहत, अनुकंपा नियुक्ति और अन्य सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाएगी
पोर्टल की विशेषता यह है कि यह सभी वैध मामलों को समयबद्ध सहायता प्रदान करने के साथ-साथ फर्जी या दोहराए गए दावों को रोकने में भी मदद करेगा। उपराज्यपाल स्वयं प्रदेशभर के मामलों की निगरानी और समाधान की प्रक्रिया को देख रहे हैं।
इसके साथ ही जम्मू (0191-2478995) और कश्मीर (0194-2487777) संभागों के संभागीय आयुक्त कार्यालयों में टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए गए हैं, जहां आतंक प्रभावित परिवार अपने लंबित या अनदेखे दावों को दर्ज करा सकते हैं। ये हेल्पलाइन नंबर समर्पित कंट्रोल रूम के माध्यम से संचालित होंगे और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संभाले जाएंगे।
पोर्टल और हेल्पलाइन को एकीकृत किया गया है ताकि हर शिकायत औपचारिक रूप से दर्ज की जा सके और उस पर शीघ्र कार्रवाई हो। इसके अलावा, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के कार्यालयों में विशेष निगरानी सेल भी गठित किए गए हैं, जो समय-समय पर लंबित और निपटाए गए मामलों की समीक्षा करेंगे और संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर समस्याओं के समाधान में तेजी लाएंगे।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अटल डुल्लू, पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात, गृह विभाग के प्रमुख सचिव चंद्राकर भारती, उपराज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ. मनदीप के. भंडारी, सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त सचिव एम. राजू, कश्मीर और जम्मू के संभागीय आयुक्तों समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
यह पहल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित लोगों को न्याय और सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।