योगी आदित्‍यनाथ को CM बनाने का लिया गया फैसला-जानें पर्दे के पीछे की परतें

योगी आदित्‍यनाथ को उत्‍तर प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनाने का फैसला उतना सहजता से नहीं हुआ जितना सतह पर दिखाई दे रहा है. संभवतया इसीलिए नतीजे आने के बाद योगी आदित्‍यनाथ की ताजपोशी का फैसला लेने में बीजेपी आलाकमान को एक सप्‍ताह का वक्‍त लगा. सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्‍यनाथ इस पद के लिए आलाकमान की पहली पसंद नहीं थे.इससे पहले नरेंद्र मोदी और अमित शाह केंद्र सरकार में मंत्री मनोज सिन्‍हा को मुख्‍यमंत्री बनाने का मन बना चुके थे और वह इस रेस में अंतिम क्षणों तक सबसे आगे भी दिखाई दे रहे थे लेकिन माना जा रहा है कि संघ इस नाम पर मुहर लगाने से हिचक रहा था. सूत्रों के मुताबिक संघ बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद यूपी में एक कद्दावर राजनीतिक शख्सियत के हाथों में कमान देखना चाहता था और इस वजह से सिन्‍हा के नाम पर सहमति नहीं बन पाई.

दांवपेंच
सूत्रों के मुताबिक संभवतया इसीलिए अंतिम क्षणों में संघ के बेहद करीबी माने जाने वाले योगी आदित्‍यनाथ को बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने बुलाया. अपनी कमजोर पड़ती दावेदारी के बीच योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर में थे. बुलावा आने के तत्‍काल बाद स्‍पेशल चार्टर्ड प्‍लेन से वह दिल्‍ली पहुंचे. वहां से सीधे वह अमित शाह के आवास पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच वहां गुप्‍त मंत्रणा हुई और पीएम मोदी की सहमति के बाद उनके नाम पर मुहर लगा दी गई.

उसके बाद वहां से योगी आदित्‍यनाथ, ओम माथुर, केशव प्रसाद मौर्य और सुनील बंसल के साथ लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ये नेता वीवीआईपी गेस्‍ट हाउस पहुंचे. वहां के रूम नंबर 111 में वेंकैया नायडू के साथ इन नेताओं की तकरीबन आधे घंटे बैठक हुई. वहीं पर सभी तबके को संतुष्‍ट करने वाला फॉर्मूला तैयार किया गया एवं दो डिप्‍टी सीएम बनाए जाने का निर्णय अंतिम रूप से हुआ. इस बीच निकटवर्ती लोक भवन में शाम पांच बजे बीजेपी के विधायक एकत्र हो चुके थे.

उसके बाद वे सभी बैठक स्‍थल पर पहुंचे. वहां पर केंद्रीय पर्यवेक्षक एम वेंकैया नायडू ने कार्यवाही शुरू की. सात बार के विधायक सुरेश खन्‍ना ने योगी आदित्‍यनाथ का नाम प्रस्‍तावित किया. इस पर सर्वसम्‍मति बनने के बाद योगी आदित्‍यनाथ ने दो डिप्‍टी सीएम के रूप में केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के नाम का प्रस्‍ताव रखा. इस पर भी मुहर लग गई. उसके बाद एक-दूसरे को बधाईयां देने का कार्यक्रम शुरू हुआ. वहां से सभी बड़े नेता तकरीबन एक किमी दूर राजभवन के लिए रवाना हुए और राज्‍यपाल राम नाइक से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया.

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