जगरांव में भड़के किसान: लैंड पूलिंग नीति के फायदे समझाने पहुंची सरकारी टीम का विरोध

किसानों ने दो टूक कह दिया कि जब जमीन सरकार को देनी ही नहीं, तो पॉलिसी सुनने का सवाल ही नहीं उठता। किसानों ने कहा कि वे अपनी जमीन के मालिक हैं। सरकार उन्हें पार्टनर बनाने की बात कर रही है, जो मंजूर नहीं है।
जगरांव में सोमवार को लैंड पूलिंग पॉलिसी के फायदे समझाने गांव मलक पहुंची सरकारी टीम का किसानों ने विरोध किया। टीम की अगुवाई कानूनगो रणजीत सिंह और पटवारी प्यारा सिंह कर रहे थे। जैसे ही टीम गांव पहुंची, मलक समेत तीन गांवों के किसान वहां इकट्ठा हो गए। किसानों ने टीम को काले झंडे दिखाए। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें सरकार की कोई बात नहीं सुननी।
किसानों ने दो टूक कह दिया कि जब जमीन सरकार को देनी ही नहीं, तो पॉलिसी सुनने का सवाल ही नहीं उठता। कानूनगो ने समझाने की कोशिश की कि सरकार जमीन एक्वायर नहीं कर रही, बल्कि किसानों को पार्टनर बना रही है। योजना के तहत 1000 गज का रिहायशी और 200 गज का कमर्शियल प्लॉट देने की बात कही गई। यह सुनते ही किसानों का गुस्सा और भड़क गया।
किसानों ने कहा कि वे अपनी जमीन के मालिक हैं। सरकार उन्हें पार्टनर बनाने की बात कर रही है, जो मंजूर नहीं है। विरोध बढ़ता देख टीम को लौटना पड़ा। किसान नेता दीदार सिंह ने टीम को पंचायत द्वारा पारित प्रस्ताव की कॉपी और किसानों के हलफनामे सौंपे। इसमें लिखा था कि किसान किसी भी कीमत पर अपनी जमीन सरकार को नहीं देंगे। वे सिर्फ खेती करना चाहते हैं। खेती ही उनका कारोबार है, उसी से परिवार चलता है। जमीन का कोई सौदा नहीं करेंगे।
जानकारी के अनुसार, सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर किसानों को समझाने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई हैं। इसी के तहत सोमवार को यह टीम गांव मलक पहुंची थी। चर्चा है कि मंगलवार को टीम गांव चीमना और बुधवार को गांव पोना जाकर किसानों को समझाने की कोशिश करेगी।