जंगल सफारी का सीएम सैनी ने किया शिलान्यास, कहा- पर्यावरण के साथ संतुलन जरूरी

मुख्यमंत्री स्योंसर में आयोजित 76वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने सरस्वती आर्द्रभूमि जलाशय, सरस्वती पादप एवं जैव विविधता संरक्षण वाटिका और सरस्वती जंगल सफारी का शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण केवल एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। आधुनिक विकास की रफ्तार के बीच हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन का आधार वनों और पेड़ों से ही है। जलवायु परिवर्तन, अनियमित वर्षा और बढ़ते तापमान जैसी समस्याओं का समाधान बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और उनके संरक्षण से ही संभव है, जो भविष्य की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं और विभिन्न पहलों व अभियानों के तहत प्रदेश में 2 करोड़ 10 लाख पौधे लगाए जाएंगे, जिसे सामूहिक प्रयासों से पूरा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री स्योंसर में आयोजित 76वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने सरस्वती आर्द्रभूमि जलाशय, सरस्वती पादप एवं जैव विविधता संरक्षण वाटिका और सरस्वती जंगल सफारी का शिलान्यास किया। इसके अलावा, उन्होंने ‘त्रिफला’ पुस्तिका का भी विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया। समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने वन विभाग द्वारा तैयार हरियाणा वाइल्ड लाइफ मैप व कुरुक्षेत्र वाइल्ड लाइफ मैप तथा 5 पुस्तकों का विमोचन किया।

नायब सिंह सैनी ने कहा कि 76वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, दायित्व और आने वाली पीढ़ियों का खुशहाल भविष्य सुनिश्चित करने के संकल्प का प्रतीक है। 76वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव के आयोजन की कड़ी में यह तीसरा आयोजन है। प्रदेशभर में जिला स्तर पर भी वन महोत्सव के कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में स्थानीय लोग और विद्यार्थी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वन महोत्सव का अर्थ है- वनों का उत्सव, प्रकृति का सम्मान और हरियाली का विस्तार। यह महोत्सव हमें याद दिलाता है कि पेड़ सिर्फ लकड़ी का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं। उन्होंने कहा कि आज जब हम आधुनिकता की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, तो वन महोत्सव इसी बात की याद दिलाता है कि विकास की दौड़ में हम प्रकृति का शोषण न करें, बल्कि उसके साथ मिलकर रहना सीखें। पेड़ों के महत्व को समझते हुए सरकार ने वृक्षारोपण के कई अभियान चलाए हैं और उनके फलदायी परिणाम भी देखने को मिले हैं। वन क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं।

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