चौथा बड़ा मंगल आज, इस तरह करें हनुमान जी की पूजा

आज ज्येष्ठ माह का चौथा बड़ा मंगल (Bada Mangal 4th 2025) मनाया जा रहा है जो वीर हनुमान की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से कष्ट दूर होते हैं और जीवन में शुभता आती है। वहीं इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।

आज ज्येष्ठ माह का चौथा बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। यह दिन वीर हनुमान की पूजा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से सभी कष्टों का अंत होता है। इसके साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। इसे बुढ़वा मंगल के नाम से भी जाना जाता है, तो आइए इस दिन (Bada Mangal 4th 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

चौथे बड़े मंगल की पूजा विधि (Bada Mangal 4th 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा घर की अच्छी तरह सफाई करें और गंगाजल पूरे घर में छिड़कें।
एक वेदी पर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।
उन्हें लाल फूल, सिंदूर, चमेली का तेल, तुलसी की माला, लाल चोला और लड्डू आदि चीजें चढ़ाएं।
चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करें।
पूजा का समापन हनुमान जी की आरती से करें।
इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहें।
अंत में पूजा में हुई सभी गलतियों के लिए माफी मांगे।

हनुमान जी प्रिय फूल – गुलाब, गेंदा और लाल रंग के फूल।

हनुमान जी भोग (Bada Mangal 4th 2025 Bhog)
चौथे बड़े मंगल के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर हनुमान मंदिर जाएं या घर पर ही उन्हें, लड्डू, इमरती, मीठा पान और गुड़-चने आदि का भोग लगाएं। इसके अलावा आप घर पर बनी मिठाई भी चढ़ा सकते हैं। इससे भगवान हनुमान की कृपा मिलती है।

शुभ मुहूर्त ( Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 38 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।

पूजन मंत्र (Bada Mangal 4th 2025 Puja Mantra)
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं
दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय
महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।

Back to top button