चुनाव में रिश्वतखोरी पर जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार किया जाए

नई दिल्ली. इलेक्शन कमेटी ने केंद्र सरकार को लिखी चिट्ठी लिखते हुए सिफारिश की है कि जिन विधायकों या सांसदों के खिलाफ चुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने के संबंध में आरोपपत्र तय हो जाये तो उन्हें अयोग्य किये जाने का प्रावधान हो. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कानून मंत्रालय को भेजे पत्र में कमेटी ने लिखा है कि इसके लिए जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 में संशोधन करके इस प्रावधान जोड़ा जाए.

भाजपा ने जिन्हें सौंपी उत्तराखंड की कुर्सी उनपर लगे हैं ये गंभीर आरोपचुनाव में रिश्वतखोरी पर जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार किया जाएजन प्रतिनिधित्व कानून के वर्तमान प्रावधान के अनुसार जनप्रतिनिधि के खिलाफ संगीन अपराध साबित होने और सजा सुनाए जाने के बाद से उसे पद से हटा कर सजा की अवधि पूरी होने और उसके 6 वर्ष बाद तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी होती है. यह भी बता दे कि सरकार पहले भी इलेक्शन कमेटी की सिफारिश को तीन बार ठंडे बस्ते में डाल चुकी है.

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कानून आयोग के अनुसार, राजनीती के अपराधीकरण को रोकने के लिए सिर्फ यही प्रावधान काफी नहीं है. इसका कारण है कि क़ानूनी मामले लम्बे समय तक चलते है और बहुत कम मामलो में सजा सुनाई जाती है. वही दूसरी और इलेक्शन कमेटी चाहती है कि चुनाव में रिश्वतखोरी के मामलो पर जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार किया जाए. इलेक्शन कमिश्नर नसीम जैदी पहले जनप्रतिनिधि कानून की धारा 58A में संशोधन करने की मांग कर चुके है जिसके तहत उन्होंने बूथ केप्चरिंग के मामले में चुनाव रद्द या स्थगित करने का समर्थन किया.

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