चुनाव के बाद जदयू के कम से कम छह नेताओं पर होगी कार्रवाई, की है ये बड़ी गलती, जानिए

चुनाव के बाद जदयू के कम से कम छह नेताओं पर कार्रवाई होगी। उन पर एनडीए उम्मीदवारों के विरोध में खुले तौर पर प्रचार करने का आरोप है। खास बात यह है कि जदयू के इन नेताओं ने उन्हीं क्षेत्रों में विरोध किया, जहां लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार मैदान में थे।

पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, मुन्ना शुक्ला, अनु शुक्ला और जदयू के प्रदेश महासचिव देव कुमार चौरसिया पार्टी की अनुशासनिक कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं। खबर है कि इन नेताओं को लेकर लोजपा ने जदयू के समक्ष अपनी नाराजगी दर्ज कराई है।

मालूम हो कि जदयू नेता नरेंद्र सिंह ने जमुई में लोजपा उम्मीदवार चिराग पासवान के खिलाफ खुल कर प्रचार किया। उनके पुत्र अजय सिंह भी विरोध में शामिल थे। अजय भी पूर्व विधायक हैं। नरेंद्र सिंह की नाराजगी इस बात को लेकर है कि लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने विधानसभा के पिछले चुनाव में उनके पुत्र की उम्मीदवारी का विरोध किया था।

जमुई लोकसभा क्षेत्र में नरेंद्र सिंह ने महागठबंधन के उम्मीदवार भूदेव चौधरी का समर्थन किया। लोजपा के निवर्तमान सांसद रामा सिंह के साथ उन्होंने जमुई के गांवों में कई बैठकें कीं। उसमें मतदाताओं से आग्रह किया कि चिराग के खिलाफ मतदान करें। वे हाजीपुर में लोजपा उम्मीदवार पशुपति कुमार पारस के विरोध में भी प्रचार करने गए।

लोजपा के पास इसके दस्तावेजी प्रमाण है कि नरेंद्र सिंह ने हाजीपुर में भी महागठबंधन के उम्मीदवार शिवचंद्र राम के लिए वोट मांगा। 

मुन्ना शुक्ला ने चुना नोटा

इसी तरह हाजीपुर में मतदान के दिन जदयू के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला ने नोटा का बटन दबाया। लालगंज विधानसभा क्षेत्र के अपने मतदान केंद्र पर नोटा का बटन दबाने के बाद उन्होंने इसे स्वीकार भी किया। हाजीपुर लोकसभा में ही लालगंज विधानसभा क्षेत्र है।

उन्होंने वैशाली लोकसभा क्षेत्र के स्वजातीय मतदाताओं से भी नोटा का बटन दबाने की अपील की। वैशाली में लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी चुनाव लड़ रही थीं।प्रदेश जदयू के महासचिव देव कुमार चौरसिया पर भी आरोप है कि उन्होंने हाजीपुर में लोजपा के बदले राजद उम्मीदवार के लिए वोट मांगा।

चौरसिया ने बदला लिया

 बताते हैं कि देव कुमार चौरसिया ने प्रदेश नेतृत्व को जानकारी देकर लोजपा उम्मीदवार पशुपति कुमार पारस का विरोध किया। 2014 में वे हाजीपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उपचुनाव लड़ रहे थे। उस समय पारस ने उनके खिलाफ वोट मांगा था। कहते हैं कि चौरसिया ने उसी का बदला लिया।

निर्दलीय चुनाव लडऩे से पहले तक चौरसिया लोजपा से ही जुड़े थे। वह उप चुनाव हाजीपुर के तत्कालीन भाजपा विधायक नित्यानंद राय के सांसद बनने के कारण हुआ था। 

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