चुनाव आयोग के इस फैसले से पंजाब सरकार को लगा बड़ा झटका, आइजी कुंवर विजय को एसआईटी से हटाने का नोटिस किया जारी
चुनाव आयोग ने शिरोमणि अकाली दल की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आईजी कुंवर विजय प्रताप को बरगाड़ी मामले की जांच कर रही एसआईटी से तुरंत हटाने के आदेश जारी किए। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें कोई भी ऐसा पद नहीं दिया जाए जिससे मतदाता प्रभावित होते हों। इससे आईजी का बचाव कर रही कांग्रेस को करारा झटका लगा है।
चुनाव आयोग के सचिव की ओर से पंजाब के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा गया है कि 22 मार्च को राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल की ओर से आईजी के खिलाफ शिकायत दी गई। इसकी जांच में पाया गया कि कुंवर विजय प्रताप सिंह द्वारा एसआईटी की मौजूदा जांच को लेकर 18 और 19 मार्च को टीवी चैनल को दिया गया इंटरव्यू राजनीति से प्रेरित था।
उसमें कई तरह की राजनीतिक टिप्पणियां की गई थीं। जांच में यह भी पाया गया कि इस इंटरव्यू में कुछ राजनीतिक नेताओं की छवि खराब करने की क्षमता है। इंटरव्यू के दौरान सिंह ने शिअद नेताओं के नामों का उल्लेख भी किया जो साफ तौर पर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। चुनाव आयोग ने एसआईटी के सदस्यों को यह निर्देश भी दिए कि वे चुनाव आचार संहिता की अवधि के दौरान कोई भी ऐसा वक्तव्य न दें, जो चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करता हो।
काम न आया कांग्रेस का विरोध
कुंवर विजय प्रताप सिंह के खिलाफ दी गई शिकायत का पिछले सप्ताह कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस ने आयोग से अपील की थी कि वह अकाली दल की शिकायत पर संज्ञान न ले। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ और प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्री इस संबंध में आग्रह पत्र लेकर पंजाब के मुख्य चुनाव अधिकारी से मिले थे।
कांग्रेस का कहना था कि कुंवर विजय प्रताप सिंह बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं और उन्हें एसआईटी से अलग किए जाने से जांच का काम प्रभावित हो सकता है।
कुंवर विजय प्रताप आईजी काउंटर इंटेलिजेंस नियुक्त
चुनाव आयोग के आदेशानुसार पंजाब सरकार ने एसआईटी के सदस्य आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को तुरंत प्रभाव से एसआईटी से हटाते हुए उन्हें अमृतसर में आईजी काउंटर इंटेलिजेंस नियुक्त कर दिया है। राज्य सरकार ने उन्हें पंजाब पुलिस की नोडल एजेंसी में तैनात कर दिया है, जिसका काम जासूसी और खुफिया गतिविधियों पर नजर रखना है।
इस नोडल एजेंसी का कामकाज किसी भी रूप में वोटर को प्रभावित नहीं करता है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चुनाव आयोग ने कहा था कि आईजी को राज्य में लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव को प्रभावित करने वाले किसी भी पद पर नियुक्त न किया जाए।