चीन-पाकिस्तान सीमा के बीच विकास की चुनौती, नए उपराज्यपाल के सामने चुनौतियां भी कम नहीं

कविंद्र गुप्ता के लिए लद्दाख के एलजी का पद एक बड़ी चुनौती होगा, जहां उन्हें नए जिलों के गठन, स्थानीय असंतोष और विकास कार्यों में संतुलन साधना होगा।

लद्दाख के एलजी के रूप में पूर्व डिप्टी सीएम कविंद्र गुप्ता की तैनाती उनके लिए लिटमस टेस्ट साबित होगी। बेशक कविंद्र गुप्ता के पास जम्मू-कश्मीर विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी सीएम के रूप में काम करने का खासा राजनीतिक अनुभव है।

उन्हें लद्दाख के मुद्दाें की समझ भी है, लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसों देशों के साथ सीमा साझा करने वाले लद्दाख में कुछ अलग तरह की चुनौतियां उनके सामने होंगी।लद्दाख में अगस्त, 2024 में पांच नए जिलों की घोषणा की गई थी।

इन जिलों के गठन को लेकर रिटायर्ड आईएएस प्रमोद जैन की अगुवाई में कमेटी बनाई गई थी, जिसे इन जिलों की सीमाओं के साथ ही मुख्यालयों का चयन, कर्मचारियों की स्ट्रेंथ जैसे कई मामलों पर रिपोर्ट देनी थी। लेह स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) कारगिल के चेयरमैन की ओर से संकू को जिला बनाए जाने की मांग की जा रही है।

वे पहले ही इस बात को साफ कह चुके हैं कि कारगिल के सब-डिवीजन की बाउंड्री में किसी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी। सीमा से जुड़े मसलों का सर्वमान्य हल निकालना उनकी प्राथमिकता होगी।

विकास गतिविधियों को अंजाम देना भी बड़ी चुनौती
वहीं, लद्दाख के सामरिक महत्व को देखते हुए यहां विकास गतिविधियों को नियंत्रित तरीके से अंजाम देना भी बड़ी चुनौती होगी। केंद्र ने हाल ही में लद्दाख की डोमिसाइल नीति घोषित करते हुए आरक्षण नियमों को भी अधिसूचित किया था।

लद्दाख के क्षेत्रीय वासी इन नीति और नियमों से पूरी तरह इत्तेफाक नहीं रखते। ऐसे में क्षेत्रीय लोगों को साथ लेकर उनके हितों की रक्षा करते हुए ग्रुप ए के पदों के बाद ग्रुप बी और सी की भर्ती प्रक्रिया को शुरू कराना उनके लिए चुनौती बनेगा। पुलिस भर्तियों में पारदर्शिता का मुद्दा भी अहम रहेगा।

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