चीन ने की सब्जी-फल-अनाज नष्ट करने की साजिश, भारत ने सऊदी अरब के DAP से निकाली काट

भारत और चीन के बीच तल्ख संबंध किसी से छिपे नहीं है। चीन हमेशा कुछ न कुछ ऐसे बैन लगाता है जिससे भारत पर असर पड़ सकता है। हालांकि हर बार भारत उसकी काट जरूर निकाल लेता है। एक बार फिर चीन ने साजिश के तहत खास तरह के उर्वरकों पर भारत में निर्यात पर रोक लगा दी थी।
ये ऐसे उर्वरक थे जिनका उपयोग फलों, सब्जियों और अन्य लाभकारी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जाता है। हालांकि साजिश को झटका देते हुए भारत ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि ड्रैगन की चाल धरी की धरी रह गई है।
सऊदी अरब से इन कंपनियों ने की डील
दरअसल भारत की तीन प्रमुख उर्वरक कंपनियों इंडियन पॉटराश लिमिटेड (IPL), कृभको (KRIBHCO) और कोल इंडिया लिमिटेड ने सऊदी अरब की खनन कंपनी मा’आदेन के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 से शुरू होकर आगामी 5 सालों तक हर साल 31 लाख मीट्रिक टन डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक भारत को आपूर्ति की जाएगी। इस समझौते को आपसी सहमति से और पाँच सालों के लिए बढ़ाया जा सकता है।
यह समझौता केंद्रीय स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा की सऊदी अरब यात्रा के दौरान हुआ। नड्डा ने रास अल खैर स्थित मा’आदेन की फॉस्फेट उत्पादन इकाई का दौरा भी किया।
चीन ने निर्यात पर लगा थी रोक
यह पहल ऐसे समय में हुई है जब चीन ने भारत को डीएपी के प्रमुख घटक फॉस्फेट के निर्यात पर जून में रोक लगा दी थी, जिससे देश में डीएपी उत्पादन और आपूर्ति पर असर पड़ा है।
खरीफ सीजन की शुरुआत में डीएपी की कमी से फसल उत्पादन पर असर पड़ सकता था, क्योंकि यह उर्वरक बुवाई के तुरंत बाद आवश्यक होता है। इस समझौते से किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
सऊदी अरब के उद्योग मंत्री बंदर बिन इब्राहिम अल खोरायेफ से मुलाकात में नड्डा ने आपसी निवेश, उर्वरक, पेट्रोकेमिकल और दवा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। दोनों देशों ने उर्वरक सुरक्षा के लिए संयुक्त कार्यदल गठन की घोषणा भी की है। यह साझेदारी भारत की कृषि और खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।