चीन की विशाल दीवार को चीन में कुछ इस नाम से जानते हैं, जानें इसकी 10 खास बातें…

चीन की दिवार के बारे में सभी जानते हैं. ये भी जानते हैं कि ये सबसे बड़ी और लम्बी दिवार है जिसके कई अनोखे राज़ हैं और कुछ अनजाने किस्से भी हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे. अपनी विशाल और अनूठी कला से बनी यह दिवार देश के आजूबों में शामिल हैं. चीन की दिवार से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं जो इसे और भी स्पेशल बनाते हैं. ऐसे में आज हम आपको चीन की दिवार से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों की जानकारी देने जा रहे हैं जो हैरान करने वाले हैं.

दीवार की चौड़ाई इतनी रखी गई कि 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक बगल-बगल में गश्त लगा सकें.

इस दीवार को चीन के लोग ‘वान ली छांग छंग‘ कहते है जिसका अर्थ है ‘चीन की विशाल दीवार’.

भले ही इस विशाल दीवार का निर्माण विदेशी हमलावरों को रोकने के लिए हुआ था परन्तु सदियों तक इसका उपयोग परिवहन, माल तथा लम्बी यात्रा के लिए भी होता रहा.

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– यह दीवार हमेशा सुरक्षित और अजेय नही रह सकी. कई बार हमलावरों ने इस पर विजय प्राप्त की और इस दीवार को तोड़ा. सन् 1211 मे चंगेज़ खां इस दीवार को तोड़कर चीन आया था.

यह दीवार लगभग 6400 किलोमीटर लंबी है. यह दीवार इतनी बड़ी है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. ऊपर दिया चित्र नासा की वेबसाइट से लिया गया है. ध्यान से देखने पर दीवार के कुछ हिस्से दिखाई देते हैं.

चीन की विशाल दीवार पत्थर और मिट्टी से बनी दुनिया की सबसे बड़ी दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शाशको द्वारा उत्तरी हमलावरों से सुरक्षा के लिए 5वी सदी ईसा पूर्व से लेकर 16वी सदी तक बनवाया गया.

इस दीवार के कुछ हिस्से आपस में जुड़े हुए नहीं है. यदि इसके सभी हिस्सों को आपस में जोड़ दिया जाए तो दीवार की लंम्बाई 8848 किलोमीटर तक पहुँच जाएगी.

एक अनुमान के अनुसार इस दीवार को बनाने के लिए 20 से 30 लाख लोगो ने अपना पूरा जीवन लगा दिया.

चीन की विशाल दीवार की ऊँचाई हर जगह एक जैसी नही है. इसकी सबसे ज्यादा ऊँचाई 35 फुट है जबकि कुछ जगह से तो 8-9 फुट ही ऊँची है.

इस दीवार को बनाने में जो मजदूर लगे थे, उनमें से जो कठोर श्रम नही कर रहे थे उन्हें इस दीवार में ही दफना दिया जाता था. इस लिए इस दीवार को दूनिया का सबसे लंम्बा कब्रिस्तान भी कहते हैं.

आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में भी एक ऐसी दीवार है जो सीधे तौर पर चीन की दीवार को टक्कर देती है. इसे भेदने का प्रयास अकबर ने भी किया था पर सफल ना हो सका. इस दीवार को राजस्थान के कुंभलगढ़ किलो की सुरश्रा के लिए बनाया गया था. इसका निर्माण 1443 में शुरू होकर 1458 में खत्म हुआ.

कुंभलगढ़ किले की सुरक्षा दीवार की लंम्बाई 36 किलोमीटर है. चीन की दीवार से 588 गुना छोटी होने के बावजूद भी यह दूनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार है.

चीन की विशाल दीवार पर सिर्फ 5 घोड़सवार ही बगल-बगल में चल सकते हैं पर कुंभलगढ़ की दीवार पर 10 घोड़े बगल-बगल में चल सकते हैं.

कहते है कुंभलगढ़ की दीवार के निर्माण का काम बंद होने का नाम ही नही ले रहा था. अंततः वहां देवी को प्रसन्न करने के लिए संत की बलि दी गई तब जाकर इस दीवार का निर्माण पूरा हुआ. 

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