चार साल बाद दरबार मूव बहाल: कल से छह माह तक जम्मू से चलेगी सरकार

चार साल बाद जम्मू-कश्मीर सरकार तीन नवंबर से शीतकालीन राजधानी जम्मू से काम करेगी। अब अगले छह माह तक सचिवालय यहीं लगेगा और पूरी कैबिनेट यहीं बैठेगी। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर स्थित सचिवालय में सरकारी कार्यालय 31 अक्टूबर को बंद कर दिए गए हैं और अब ये जम्मू में खुलेंगे। इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों का शनिवार से जम्मू आना शुरू हो गया है।

जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव महाराजा के समय से चली आ रही प्रथा है। इसके तहत सरकारी कार्यालय श्रीनगर और जम्मू के बीच स्थानांतरित होते हैं। सरकार दोनों राजधानी शहरों में छह-छह माह रहकर काम करती है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद चार साल पहले 2021 में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया गया था लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसी साल 16 अक्टूबर को बहाल कर दिया था।

दरबार मूव के दौरान सरकारी दस्तावेजों और कंप्यूटरों और अन्य सामान के साथ करीब 10 हजार अधिकारी-कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य जम्मू शिफ्ट होते हैं। कर्मचारियों के स्थानांतरण और सुरक्षा के साथ-साथ श्रीनगर से जम्मू तक उनके परिवहन की सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।

प्रशासन ने उनके लिए जम्मू शहर के पंजतीर्थी, स्टेट गेस्ट हाउस, पुंछ हाउस, अहाता अमर सिंह स्थित सरकारी आवासों में इनके ठहरने के प्रबंध किए हैं। रविवार देर रात तक इनके जम्मू पहुंचने की बात कही जा रही थी। स्टेट विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. विकास शर्मा ने कहा कि दरबार मूव को लेकर सारी तैयारियां पूरी हैं।

दरबार मूव में 200 करोड़ से अधिक खर्च
दोनों शहरों के बीच एक बार दरबार मूव होने से दो सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च होते हैं। एक साल में दो बार राजधानी शिफ्ट होने से 400 करोड़ से अधिक खर्च हो जाते हैं। यह सरकार के खजाने में अतिरिक्त भार है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जम्मू के स्थानीय व्यापार समुदाय, विशेषकर होटल, परिवहन और छोटे व्यवसायों की आमदनी बढ़ जाती है।

महाराजा रणजीत सिंह ने शुरू की थी शुरुआत
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह ने 1872 में दरबार मूव की परंपरा शुरू की थी। इसके तहत सर्दियों में नवंबर की शुरुआत से अप्रैल के अंत तक के लिए वे अपने पूरे दरबार के साथ श्रीनगर से जम्मू आ जाते थे। इसका उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार शासन चलाना था।

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