चट्टान के अंदर वैज्ञानिकों को मिला पुराना सा जीव, जांच करने पर पता चला

आमतौर पर चट्टानों में किसी जीव की लाश दबी रह जाती है, तो वजह सड़ने लगती है. लाखों सालों बाद उस चट्टान को जब तोड़ा जाता है, तो जो मिलता है उसमें उस जीव की केवल हड्डियां ही बचती हैं. वैज्ञानिकों को कहना है कि इतने सालों में केवल ठोस पदार्थ ही बच जाता है. इसी बचे खुचे कंकाल को जीवाश्म या फॉसिल के रूप में वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं. इस तरह के अवशेष उनके लिए बहुत ही कीमती हो जाते हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों को एक कीड़े का लार्वा मिला. हैरानी की बात ये थी कि ये 52 करोड़ साल पुराना था. उससे भी अजीब इसके दिमाग से लेकर पेट तक के अंग सभी पूरी तरह से सुरक्षित थे.

अंदरूनी अंग संरक्षित
यह  शायद पहली बार है जब वैज्ञानिकों को करोड़ों साल पहले की इतने संरक्षित जीवाश्म हासिल हुए हैं.  शोधकर्ताओं ने सिंक्रोट्रोन एक्स रे टोमोग्राफी तकनीक का उपयोग कर 3डी तस्वीरें हासिल की. इनके जरिये वे जीव के अंदरूनी अंगों, जैसे कि पाचन अंग, रक्त प्रवाह तंत्र, और कुछ तंत्रिकाओं का भी अध्ययन कर सके.

करोड़ों साल पुराने जीवों के बारे में
इस अध्ययन ने वैज्ञानिकों को कैम्ब्रियन युग में पनपे जीवों के बारे में बहुत कुछ पता चला. यह 48 से 53 करोड़ साल के बीच का दौर था. उनका कहना है कि हम अब तक इन जीवों को नाटकीय तौर से कमतर आंक रहे थे. वैज्ञानिकों को इस जीव का आज के दौर के जीवों से संबंध भी पता चला.

पैरों तले खिसकी जमीन
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता मार्टिन स्मिथ का कहना है कि लार्वा बहुत ही नाजुक और महीन हैं. इसतरह के जीवों का जीवाश्म बनना ही नामुमकिन के करीब है. लेकिन जब उन्होंने उनकी चमड़ी के नीचे के संरक्षित अंगों को देखा, तो उनके पैरों तले जमीन ही खसक गई. हैरानी की बात ये थी कि ये महीन जीन इतने करोड़ों सालों में सड़ कर खत्म क्यों नहीं हुए.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और यूके के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के इस अध्ययन से साफ होता है कि पुराने जीवाश्म उन इलाकों में भी मिल सकते हैं जहां उनका मिलना असंभव माना जाता है. ऐसे में डायनासोर की तलाश में बेहतर नतीजे मिलने की उम्मीद है. अभी तक सबसे पुराने डायनासोर के अवशेष 23 करोड़ साल पुराने मिले हैं. लेकिन इस शोध ने उम्मीद जगाई है कि इससे भी पुराने दौर के डायनासोर के सुरक्षित जीवाश्म भी पृथ्वी की ऐसी जगह पर मिल सकते हैं, जहां तक इंसानों की पहुंच अभी बनी नहीं है.

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