अगर दूर करना चाहते हैं गरीबी तो घर बसाएं इस गाँव में, तुरंत देखेगा असर

अगर दूर करना चाहते हैं गरीबी तो घर बसाएं इस गाँव में, तुरंत देखेगा असर| अगर आप गरीब हैं तो उत्तराखंड के इस गांव में आइए. यहां शिव की ऐसी महिमा है कि जो भी आता है उसकी गरीबी दूर  (poverty disappears) हो जाती है. यहीं नहीं इस गांव को श्रापमुक्त जगह का दर्जा प्राप्त है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में जो भी कष्ट हैं वह उसके द्वारा किए पापों के चलते होता है. यहां आने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है.

यह जगह है उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित देश का सबसे अंतिम गांव माणा. यहीं पर माना पास है जिससे होकर भारत और तिब्बत के बीच वर्षों से व्यापार होता रहा था. पवित्र बदरीनाथ धाम से 3 किमी आगे भारत और तिब्बत की सीमा स्थित इस यह गांव का नाम भगवान शिव के भक्त मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था.

अगर दूर करना चाहते हैं गरीबी तो घर बसाएं इस गाँव में, तुरंत देखेगा असर

उत्तराखंड के गांव माणा

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार के उपाध्यक्ष पंडित नंद किशोर पुरोहित बताते हैं कि इस गांव में आने पर व्यक्ति स्वप्नद्रष्टा हो जाता है. जिसके बाद वह होने वाली घटनाओं के बारे में जान सकता है. डॉ. नंद किशोर के मुताबिक माणिक शाह नाम एक व्यापारी था जो शिव का बहुत बड़ा भक्त था. एक बार व्यापारिक यात्रा के दौरान लुटेरों ने उसका सिर काटकर कत्ल कर दिया. लेकिन इसके बाद भी उसकी गर्दन शिव का जाप कर रही थी. उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर शिव ने उसके गर्दन पर वराह का सिर लगा दिया.  इसके बाद माना गांव में मणिभद्र की पूजा की जाने लगी.

शिव ने माणिक शाह को वरदान दिया कि माणा आने पर व्यक्ति की दरिद्रता दूर हो जाएगी. डॉं नंदकिशोर के मुताबिक मणिभद्र भगवान से बृहस्पतिवार को पैसे के लिए प्रार्थना की जाए तो अगले बृहस्पतिवार तक मिल जाता है. इसी गांव में गणेश जी ने व्यास ‌ऋषि के कहने पर महाभारत की रचना की थी. यही नहीं महाभारत युद्ध के समाप्त होने पर पांडव द्रोपदी सहित इसी गांव से होकर ही स्वर्ग को जाने वाली स्वर्गारोहिणी सीढ़ी तक गए थे.

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