गुरु पूर्णिमा पर हुई महाकाल बाबा की भस्म आरती

गुरु पूर्णिमा का दिन बेहद पावन माना जाता है। यह गुरुओं को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025 Date) का पर्व 10 जुलाई यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। इस दिन को खास बनाने के लिए उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्म आरती की गई तो आइए इसका धार्मिक महत्व जानते हैं।

आज गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2025) का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस शुभ अवसर को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए आज उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्म आरती की गई, जिसका बहुत ज्यादा महत्व है। यह आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव है, जो सभी के लिए बहुत ज्यादा विशेष है।

महाकाल बाबा की भस्म आरती अपने आप में अनूठी है, तो आइए इस आर्टिकल में इससे (Importance Of Bhasma Aarti) जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

भस्म आरती का महत्व (Mahakal Baba Bhasma Aarti Significance)
भस्म आरती का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसका औघड़दानी स्वरूप है। भस्म वैराग्य का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव खुद भस्म धारण करते हैं, जो उनके वैरागी स्वरूप और जीवन-मृत्यु के परे होने का प्रतीक है। महाकाल की भस्म आरती इस बात की याद दिलाती है कि संसार की हर चीज असत्य है, सिर्फ भगवान शिव के।

यह आरती ऊर्जा और पवित्रता का संचार करती है। ऐसा माना जाता है कि इस आरती में शामिल होने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

भस्म आरती के नियम (Mahakal Baba Bhasma Aarti Rules)
भस्म आरती के दौरान पुरुषों को धोती पहनना जरूरी होता है।
इस दौरान महिलाओं को साड़ी पहनना होता है और उन्हें घूंघट या पल्लू करना होता है। ऐसा माना जाता है कि भस्म आरती के दौरान शिव अपने रौद्र रूप में होते हैं, और महिलाओं को सीधे उन्हें देखने की अनुमति नहीं होती है।
भस्म आरती के दौरान महिलाओं को भगवान के शिवलिंग से थोड़ी दूरी पर ही दर्शन करने की अनुमति होती है, जबकि पुरुष पुजारी के समीप तक जा सकते हैं।
भस्म आरती में शामिल होने के लिए पहले बुकिंग करानी होती है।
महाकालेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर काउंटर से बुकिंग की जा सकती है।
आरती का समय ब्रह्म मुहूर्त में होता है, जो सुबह 3 से 4 बजे के बीच शुरू हो जाती है।
भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्तों को मंदिर के सभी नियमों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
इस दौरान बुरे विचार और तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।

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