गुप्त नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना

Gupt Navratri Pujan Vidhi गुप्त नवरात्र आषाढ़ माह में 26 जून से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री जिनका स्वरूप शांत और दयावान है पहले दिन पूजी जाती हैं। उनकी आराधना से साधक को कष्टों से मुक्ति मिलती है।
गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के 9 दिन मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि जो भी भक्ति भाव से मां की नौ दिनों तक आराधना करता है, उस पर मां अपनी कृपा बरसती हैं। देवी दुर्गा ने 9 अलग-अलग अवतार लेकर राक्षसों का अंत किया था। नवरात्र के इन नौ दिनों में भक्त इन्हीं नौ रूपों का पूजन करते हैं।
इन नौ दिनों में अखंड ज्योति जलाकर मां का ध्यान और आराधना करने से समस्त दुखों का नाश होता है। साधक को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। गुप्त नवरात्र में साधक गुप्त रूप से मां के स्वरूपों की पूजा करते हैं और नौ दिन साधना करते हैं।
शांत और दयावान हैं मां शैलपुत्री
नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। उनका स्वरूप बहुत शांत, सरल और दया से परिपूर्ण है। अपने दिव्य रूप में वह दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए हुए वृषभ पर सवार हैं। इसीलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है।
मां शैलपुत्री ने घोर तपस्या करके समस्त जीवों की रक्षा की थी। नवरात्रि के पहले दिन का व्रत और पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां शैलपुत्री की साधना से मूलाधार चक्र जागृत होता है, जो हमारे शरीर में ऊर्जा का केंद्र है।
इस चक्र के जाग्रत होने से साधक को स्थिरता, सुरक्षा और मानसिक शांति मिलती है। साथ ही जीवन में सकारात्मक और समृद्धि आती है।
सफेद रंग है मां को प्रिय
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत प्रिय है, जो शांति और पवित्रता का भी प्रतीक है। इसीलिए मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद रंग की सामग्री, फूल और मिठाई चढ़ाई जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा से कन्याओं को अच्छा वर मिलता है। घर में समृद्धि आती है और धन-धान्य की कमी नहीं रहती।
मां शैलपुत्री मंत्र का करें जाप
मंदिर को साफ और स्वच्छ करने के बाद अखंड ज्योति जलाकर शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करे।
इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री या मां दुर्गा के चित्र को उस पर रखें।
प्रथम पूज्य भगवान गणेश का आह्वान करें और फिर मां शैलपुत्री का आह्वान करें।
मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प, मिठाई, दक्षिणा चढ़ाएं। इसके बाद मां के मंत्रों का जाप करें।
ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:। इसके बाद घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें।